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श्री बालक राम को समर्पित होगी 164 वीं विश्व प्रसिद्ध रामलीला, रविवार को पताका यात्रा से होगा शुभारंभ

  • बमनपुरी रामलीला को यूनेस्को ने  वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में किया है शामिल ,
  • रामलीला को देखने दूर दूर  पहुंचते है लोग ,बरेली। श्री रामलीला सभा बरेली द्वारा नरसिहं मन्दिर बड़ी बमनपुरी में एक  प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गयी, जिसमें रामलीला प्रमुख विवेक शर्मा और पंकज मिश्रा ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक रामलीला जो कि होली के अवसर पर संपूर्ण भारत में एकमात्र बरेली जिले में ही होती है। यह तुलसी दास जी द्वारा रचित विनय पत्रिका के आधार पर फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को शुरू होती है और चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को रामलीला का समापन होता है। ब्रिटिश शासन काल सन् 1861 में शुरू हुई यह रामलीला तब से निरंतर होती चली आ रही है। जिसे सन 2008 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया गया और  2015 में विश्व धरोहर घोषित किया। इस रामलीला की खास बात यह है कि इसके अलग-अलग प्रसंगों का मंचन अलग-अलग मोहल्लों में जैसे अगस्त मुनि लीला अगस्त मुनि आश्रम छोटी बमनपुरी में, केवट संवाद लीला साहूकारा में, मेघनाथ यज्ञ बमनपुरी में व लंका दहन मलूकपुर चौराहा पर होता है।
  • उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व प्रसिद्व ऐतिहासिक रामलीला (164 वाँ वार्षिकोत्सव) का शुभारंभ 18 मार्च 2024 रविवार को गणेश पूजन और पताका यात्रा से होगा और 06 अप्रैल 2024 को श्री राम राज्यभिषेक के साथ समापन होगा। प्रेसवार्ता के दौरान श्री रामलीला सभा ब्रह्मपुरी बरेली द्वारा रामलीला के 164 वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की पत्रिका का विमोचन भी किया गया जिसके अनुसार ही रामलीला के कार्यक्रम किए जाएंगे।पत्रिका विमोचन के उपरांत संरक्षक किशोर कटरु ने कहा कि यह रामलीला ऐतिहासिक धरोहर है जो हमारी संस्कृति और परम्परा का प्रतीक है, इस संस्कृति को संजोए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने रामलीला को अनमोल मानते हुए और लोगों से इन्हें सुरक्षित और सम्भाल कर रखने के उद्देश्य से ही इस रामलीला को विश्व धरोहर घोषित करने का निर्णय लिया था।वरिष्ठ उपाध्यक्ष व प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने कहा कि इस वर्ष की लीला अयोध्या में विराजे श्री बालक राम को समर्पित होगी जो 550 वर्षो के बाद हमे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ रामलीला का इतिहास संपूर्ण विश्व मे अलग ही पहचान रखता है। हम इसके उसी प्राचीन इतिहास को संरक्षित रखने को कृतसंकल्प हैं।
  • संरक्षक अनुपम कपूर ने कहा कि यह हमारी विरासत व संस्कृति है, इसमें सभी को बढ़ चढ़कर सहयोग कराना चाहिए।युवा अध्यक्ष गौरव सक्सेना ने बताया कि पूरे विश्व में इस ऐतिहासिक रामलीला के प्रति जागरूकता लायी जा सके इसी उद्देश्य से हमने पिछले वर्ष ही निदेशक, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस प्रकार की लीलाओ में संस्कृति व रचनात्मकता का समावेश होता है। विविधताओं का देश भारत व उत्तर प्रदेश अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। लिहाजा रामलीला के इतिहास को संग्रहित कर प्रचार प्रसार व संवर्धन करे, जिससे देश-विदेश के लोग इस विश्व विख्यात रामलीला (सांस्कृतिक धरोहर) की सर्वोत्कृष्ट कृतियों से सीधे तौर पर रूबरू हो सके।रामलीला महामंत्री अंशु सक्सेना व उपाध्यक्ष महेश पंडित ने कहा कि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है और यह विश्व स्तर पर भव्य रूप से जानी जाए इसके लिए हम सबको निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए। इसलिए पूरी कमेटी निरंतर रामलीला के भव्य आयोजन के लिए दिन रात मेहनत कर रही है।पत्रिका विमोचन में संरक्षक जनार्दन आचार्य, राजू मिश्रा, दिनेश दद्दा, उपाध्यक्ष नीरज रस्तोगी, राजकुमार गुप्ता, पार्षद संजीव रस्तोगी मुक्की, कोषाध्यक्ष सुनील रस्तोगी, नीरज रस्तोगी, सहकोषाध्यक्ष नवीन शर्मा, राधा कृष्ण रस्तोगी, विनोद रस्तोगी, शिवम रस्तोगी, सतेन्द्र पांडेय, सुरेश कटिहा, अखिलेश अग्रवाल, पंडित विनोद शर्मा, लल्ला रावत, बॉबी रस्तोगी, मीडिया प्रभारी सचिन श्याम भारतीय व अन्य सम्मानीय पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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