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एवरेस्ट यात्रा की यादों को  डीएम बरेली ने उपराष्ट्रपति के साथ किया साझा , अपनी लिखी किताबें भी की गिफ्ट ,

  • रविंद्र कुमार ने हिमस्खलन दौरान  कई लोगों की बचाई थी जिंदगी ,
  • साहित्य में रूचि रखते है डीएम रविंद्र कुमार
बरेली:  माउन्ट एवरेस्ट को फतेह करने वाले देश के पहले आईएएस रविंद्र कुमार ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से शिष्टाचार मुलाकात करके अपनी एवरेस्ट यात्रा पर आधारित पुस्तक मेनी एवरेस्ट ,  ऐन इंस्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी’ पुस्तक को भेंट किया साथ ही अपनी यात्रा के अनुभव को भी साझा किये।
उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रविन्द्र कुमार, नेपाल (दक्षिण) और तिब्बत (उत्तर) के दो अलग-अलग मार्गों से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले चंद भारतीयों में से एक हैं। रविन्द्र कुमार ने ने दुनिया के सर्वाेच्च शिखर से भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे जैसे प्रमुख कार्यक्रमों को माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुँचाया और इन कार्यक्रमों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाकर इसे जमीनी स्तर तक पहुँचाने का प्रयास किया। उन्होंने गंगा जल को भी एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचाया और साथ ही  दुनिया के लोगों से ‘जल बचाओ’ की अपील भी की, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पेयजल की कमी नहीं हो ।
कठिन प्रशिक्षण, दृढ़ निश्चय और सकारात्मक कल्पना के बल पर वह अपने पहले ही प्रयास में 19 मई 2013 को दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचे। 2015 में एवरेस्ट पर उनकी दूसरी चढ़ाई का उद्देश्य ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बारे में जागरूकता फैलाना था, जिसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने झंडी दिखाकर रवाना किया था। उस अभियान के दौरान, उन्होंने 25 अप्रैल 2015 को एवरेस्ट बेस कैंप में आए भूकंप और हिमस्खलन के बाद खुद को खतरे में डालते हुए कई लोगों की जान बचाई। इस आपदा में कुछ ही मिनटों में कई लोगों की जान चली गई थी।
एवरेस्ट की उनकी 2019 की चढ़ाई ‘जल संरक्षण’ के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य एवं जल संरक्षण के प्रति उनके उत्साह से प्रेरित थी। उन्होंने गंगाजल और ‘नमामि गंगे’ के बैनर को एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचाया और 23 मई 2019 को एवरेस्ट की चोटी से भारत के लोगों से भविष्य के जल संकट से बचने के लिए पानी बचाने की अपील की।
एक पर्वतारोही के रूप में  डीएम रविंद्र कुमार  कुमार ने  एक दशक के दौरान माउंट एवरेस्ट को दो बार फतह किया, जो एक बेहद प्रेरणादायक उपलब्धि है। यह पुस्तक इस तरह के जोखिम भरे साहसिक कार्य को करने हेतु की गई योजना पर भी विस्तृत प्रकाश डालती है । यह आकांक्षी पर्वतारोहियों को उनकी चढ़ाई की कल्पना करने, कठिनाइयों की थाह लेने और मानसिक रूप से चढ़ाई के लिए खुद को तैयार करने के लिए मार्गदर्शन देती है, क्योंकि पर्वतारोहण अत्यधिक शारीरिक फिटनेस की मांग करता है और दुर्भाग्य से हर साल कई लोग चढ़ाई के दौरान जान गवा बैठते है।
रविन्द्र कुमार ने ‘मेनी एवरेस्टः ऐन इंस्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी’ नामक पुस्तक लिखी है, जो सिविल सेवा और अन्य प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों के साथ-साथ नवोदित पर्वतारोहियों  के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध हुई है। बाद में, उन्होंने इसे हिंदी में ‘एवरेस्ट पर  सपनों की उड़ानः सिफर से शिखर तक’ नाम से प्रकाशित किया, जिसे 2020 में ‘अमृत लाल नागर पुरस्कार’ और 2021 में ‘सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय‘ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
इसके अलावा, उन्होंने हिंदी में कविताओं के चार संग्रह भी प्रकाशित किए हैं, जैसे कि अन्तरिक अन्तरिक्ष और स्वप्न यात्रा, ललक, नई आँखें एवं इक्कीसवीं सीढ़ी, जबकि एक और संग्रह, दूसरी जंग अभी प्रकाशनाधीन है। 2019 में एवरेस्ट की उनकी यात्रा पर आधारित दो लघु वृत्तचित्र (डाक्यूमेंटरी फिल्म) ‘शिखर से पुकार‘ एवं ‘गंगा का लाल‘ भी है, जो मुख्य रूप से एवरेस्ट अभियान के माध्यम से जल संरक्षण पर केंद्रित है।
इसके अलावा, वह सिक्किम सरकार द्वारा सम्मानित ‘सिक्किम खेल रत्न पुरस्कार’ और बिहार सरकार द्वारा सम्मानित किए गए ‘विशेष खेल सम्मान’ के साथ-साथ कई अन्य पुरस्कारों और प्रशंसाओं के प्राप्तकर्ता हैं।
माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी द्वारा जिलाधिकारी, बरेली  रविन्द्र कुमार के इस अचीवमेंट पर उनको बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

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