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रामपुर एसपी ने पुलिसिया अंदाज में तालीम से लेकर बदलते हुए सामाजिक ताने बाने पर रखी अपनी राय , बाद में एसपी  ने अपने बयां का किया खंडन,

यूपी के रामपुर में उप चुनाव शांतिपूर्वक हो  जाने के बाद पुलिस लाइन में एसपी अशोक कुमार शुक्ला की अगुवाई में एक सद्भावना गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें जनप्रतिनिधियों के अलावा सभ्य समाज के काफी लोग मौजूद थे इसी दौरान एसपी ने मंच संभाला और लोगों को बुराई का रास्ता छोड़कर तालीम हासिल करने का अपने ही शब्दों में मशवरा दे डाला। प्रेम प्रसंग के चलते अपने अपने समुदाय को छोड़कर दूसरे समुदाय के लड़के या लड़की के घर छोड़कर चले जाने पर एसपी ने पुलिसिया अंदाज में सुझाव दिया इसके अलावा उन्होंने बच्चों की तालीम पर जोर देने की बात कही और बच्चों की फौज ना खड़े करने की सलाह भी दी है।

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पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला के मुताबिक अभी एक बड़ा तमाशा हुआ पुलिस लाइन में कोई मोमडन लड़की थी किसी हिंदू लड़के के साथ या यह हिंदू लड़की थी मोमडन लड़के के साथ जा रही थी तो आप लोग देखिए अपने परिवार में ऐसा क्यों हो रहा है मैं तो उन मां-बाप को जेल भेजना चाहूंगा जो ये शिकायत लेकर आएंगे कि उनकी लड़की चली गई। पैदा करके छोड़ दिया है किस के भरोसे छोड़ दिया है भाई और अगर अच्छा लगे तो यह भी सुन लीजिए कि भाई एक दो बच्चे बहुत हैं जिनकी परवरिश कर सको फौज खड़ी करने से कुछ नहीं होगा।

 

आप ना उसको तालीम दे पाओगे ना कोई सुझाव दे पाओगे धर्म से उठकर में ये बात कह रहा हूं सब जगह लागू होती है किसी के धर्म आड़े आता हो आता हो तो कृपया उन बच्चों को इतना पढ़ाए जो पर्चा बना रहे हैं पढ़ने नहीं जा रहे हैं तो मेरी चुनौती है उनको धर्म के ठेकेदारों को कि उनके हाथों में कलम देने का कोई रास्ता निकालें नहीं तो वो कट्टा लेकर, चाकू लेकर घूमते हैं तो फिर मेरा काम बढ़ जाता है तो इसलिए व्यापार मंडल से बात हुई अभी रस्तोगी साहब कह रहे थे सर्राफे की बात कर रहे थे वहां पर भी मैं यह बात कहूंगा कि ताली दोनों तरफ से बजती है।

 

एसपी रामपुर ने अपने बयां का किया खंडन : 

 

अशोक कुमार शुक्ला ने अपने बयान का खंडन किया हैं | उन्होंने कहा है कि मेरे एक वक्तव्य कि,” जो मां बाप अपने बच्चों के भागने की शिकायत लेकर आए मन करता है कि उन्हें भी जेल भेज दूं…..” उक्त वक्तव्य के बाबत विनम्रता पूर्वक स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं इसका पुरजोर खंडन करता हूं, मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी न मैं ऐसा कर सकता हूं ना ही कोई कर सकता है। मैं हमेशा ऐसे पीड़ित को अपना परिवार समझते हुए उसकी पूरी वैधानिक और प्रशासनिक मदद करता हूं और करता रहूंगा। उक्त वक्तव्य का केवल इतना आशय है कि हमारे जीवन की आपाधापी में जाने अनजाने हमारा परिवार और बच्चे उपेक्षित हो जाते हैं, जिनसे ये समस्या बढ़ रही है। हम अभिभावक के रूप में अपने बच्चों के संस्कार को प्राथमिकता के आधार पर मजबूत करें। वक्तव्य के किसी ऐसे भाव कि “शिकायत करने वाले मां बाप को जेल भेज दूंगा” का मैं पुनः खंडन करता हूं, यदि किसी बंधु को इससे कोई पीड़ा हुई हो तो मैं खेद भी प्रकट करता हूं। मेरा भाव केवल बच्चों एवं परिवार के संस्कार को दृढ़ता से पोषित करने का है।

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