बरेली। यह मंदिर वीर सावरकर नगर के मध्य गायत्री पुरी पार्क में स्थित है। इस मंदिर की जमीन गायत्री पुरी आवास सहकारी समिति ने दान की और सर्व समाज को सेवा करने के लिए समर्पित कर दी। यहां के लोगों को कहना है कि यहां पर प्राचीन थान बना हुआ था। जिस पर शिवलिंग रखा हुआ था और लोग आकर के शिव को मानकर ही जल चढ़ाते थे। 1995 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार यहां के लोगों ने सहयोग से कराया गया। एवं शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस मंदिर में नौ देवी, हनुमान जी, भैरव आदि की मूर्तियां हैं। जिनकी दिव्यता सौंदर्यता देखते ही बनती है। जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। और सबसे खास बात तो यह है। कि यहां पर नवग्रहो की प्रतिमाएं विद्यमान हैं।
लोग ग्रह शांति के भाव से भी खूब आते हैं।वीर सावरकर नगर में इकलौता एक ऐसा मंदिर है जहां हजारों परिवार जुड़े हुए हैं। सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। लोग हरिद्वार, कछला आदि दूरगामी नदियों से जल भरकर लाते हैं और भोलेनाथ को चढ़ाते हैं। लोगों का कहना है कि यहां हर मुराद पूरी होती है। यहां से कोई निराश नही लौटता। वर्तमान में इस मंदिर का नए स्वरूप में निर्माण हो रहा है। कुछ दिनों के बाद यह इतना भव्य मंदिर होगा कि जो नाथ नगरी में अपनी अलग ही पहचान रखेगा।
मैं इस मंदिर की 1995 से सेवा कर रहा हूं। उस सेवा का फल यह है कि भगवान ने सभी दुख दूर किए और हमारे मनोरथ पूर्ण किए। आज भगवान की कृपा से हम कुशलता भी है और संपन्नता भी। हम और हमारा परिवार इन्हीं के लिए समर्पित है।
हम जब भी घर से बाहर जाते हैं। तो इनके दर्शन करके ही जाते हैं। आज तक हमारे सारे काम सफल हुए भोलेनाथ की हमारे हमारे परिवार के ऊपर विशेष कृपा है। शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही सुखद अनुभूति होती है।