बरेली। हिंदू धर्म में तिथियों में पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। लेकिन जेष्ठ मास की पूर्णिमा का अलग ही महत्व है। क्योंकि, यह महीना सभी महीनों में बड़ा महीना कहलाता है। जिस कारण यह पूर्णिमा भी सभी पूर्णिमा में सबसे बड़ी पूर्णिमा मानी गई है। इस बार पूर्णिमा का मान 3 जून को मध्यान्ह 11:16 से शुरू हो जाएगा और 4 जून प्रातः 9:16 तक पूर्णिमा का मान रहेगा। लेकिन उदया तिथि की प्रधानता अनुसार यह पर्व 4 जून को ही मनाया जाएगा। इस बार इस पर्व का महत्व ज्यादा बढ़ गया है। क्योंकि इस दिन श्रेष्ठतम् योग सिद्धि योग व्याप्त रहेगा। जिस कारण पूजन अर्चन व्रत उपवास का सैकड़ों गुना ज्यादा फल मिलेगा। यह पूर्णिमा भगवान विष्णु और शिव को समर्पित मानी जाती है। इसलिए जेष्ठ की पूर्णिमा श्रेष्ठ मानी जाती है।इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं इस दिन अगर रोगी व्यक्ति शाम के समय चंद्रमा की रोशनी में 20 से 25 मिनट बैठे तो रोगों से छुटकारा पाने की संभावना तीव्रता से बढ़ जाती है। इसलिए पूर्णिमा रोगों से युक्त जातकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
इस दिन पूजन अर्चन करने से हर समस्या का समाधान होता है। पूर्णिमा के दिन स्नान ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष फल तो है ही। लेकिन साथ ही अविवाहित युवक-युवतियों भी विवाह लग्न में आ रही बाधाओं के निवारण के लिए विशेष पूजा अर्चना कर सकते हैं। इस दिन श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से विवाह की समस्त बाधाएं समाप्त होंगी। और सुख समृद्धि के लिए भगवान विष्णु कृपा की बारिश करेंगे।
इन उपायों से ग्रह दोष होंगे दूर
मान्यता है कि इस विशेष दिन पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करें।पानी में कच्चा दूध मिलाकर पीपल के पेड़ में अर्पित करना चाहिए।
पीपल के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक का पाठ करने से ग्रह दोष दूर होते हैं।इस दिन शादीशुदा लोगों को चंद्र देव को अन्न, दूध, दही, फूल मिले जल से अर्घ्य देना चाहिए। इससे हर छोटी-बड़ी समस्या दूर होती है।