उदया तिथि के अनुसार 26 जनवरी को होगी सरस्वती की पूजा,
–ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा
बरेली।बसंत पंचमी को ऋतुओं के राजा वसंत का आगमन माना जाता है। मनुष्य ही नहीं, अन्य जीव-जन्तु, पेड़-पौधे भी खुशी से नाच रहे होते हैं। इस समय मौसम बहुत ही सुहावना हो जाता है। बसंत पंचमी को माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस दिन कोई भी शुभ काम शुरु करने का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। खासकर शास्त्रों में इस दिन को सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त की उपमा दी गयी है। इसलिए इस दिन विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य अधिक संख्या में किए जाते हैं।
भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे मनाने का तरीका भी अलग-अलग ही है।
लेकिन भावना सबकी वाग्देवी से आशीर्वाद पाने की ही होती है। संगीत की देवी होने के कारण इस दिन को सभी कलाकार बहुत जोश-खरोश से इस दिवस को मनाते हैं और माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। वैसे तो बसंत पंचमी का मान 25 जनवरी मध्यान्ह 12:33 से शुरू हो जाएगा और 26 जनवरी को प्रातः 10:24 तक ही रहेगा। लेकिन, उदया तिथि की प्रधानता अनुसार बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी गुरुवार में ही मनाया जाएगा। इस बार बसंत पंचमी शिव -सिद्धि योग लेकर आ रही है जिस कारण बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का फल कई गुना अधिक मिलेगा। शिव का तात्पर्य भगवान शंकर से है। जिसका अर्थ होता है कल्याण। वही सिद्धि योग समस्त मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। ऐसे में कल्याणकारी शिव -सिद्धि योग मे मां सरस्वती की पूजा अर्चन से बुद्धि- विवेक, ज्ञान का प्रकाश तीव्रता से प्राप्त होगा विद्याध्यन अर्जित करने वाले छात्रों को यह त्यौहार किसी वरदान से कम नहीं है।
शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है।बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर दिन में 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।