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बरेली खबर : उलेमा ने जारी किया मुस्लिम एजेंडा, बोले  मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं,

 

 

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में उर्स ए रज़वी के मौके पर कौम और देश हित  में  एक मुस्लिम एजेंडा जारी किया गया।  इस मौके पर देशभर के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अपनीं चिंताओं एवं भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी बातें मीडिया के सामने रखी। उससे पहले आज उर्से आला हज़रत के पहले दिन ’’इस्लामिक रिसर्च सेन्टर’’ स्थित दरगाह आला हज़रत में उलेमा की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने की, इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से आये हुये उलेमा ने मुसलमानों के मसाइल पर विस्तार से चर्चा की और मुसलमानों, हुक़मतों, और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कामों का जायज़ा लेते हुए एक ’’मुस्लिम एजेण्डा’’ भी तैयार किया गया। इसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के बैनर तले  आपसी बातचीत के आधार पर एक  एजेंडा जारी किया।

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मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने प्रेस काॅफ्रेंस में ’’मुस्लिम एजेण्डा’’ ज़ारी करते हुये मुसलमानों को हिदायत की है कि शिक्षा, बिज़नेस, और परिवार पर ध्यान दें और समाज में फैल रही बुराईयों पर रोकथाम करें, अन्यथा भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे। मौलाना ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा की देश की एकता और अखण्डता के लिये मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिये तैयार है, मगर हिन्दु और मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बरदाश्त नहीं की जा सकती है, और मुसलमानों के साथ ना इंसाफी और ज़ुल्म व ज़ियादती को भी ज़्यादा दिन तक हम सहन नहीं कर सकते, सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गम्भीरता से काम करना होगा, और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात बहुत जल्द देश व्यायापी “हिन्दू-मुस्लिम” जोड़ो अभियान चलाकर नफरत फैलाने वाले देश के दुश्मनो को मु़ंह तोड़ जवाब देगी।

 

देखिये यह वीडियो 

https://youtu.be/1Khi2-Zwx8I

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की ओर से  मुस्लिम का़ैम को  दी गई हिदायतें:-

1. ग़त वर्षों के मुकाबले में 2021-2022 में मुसलमानों की शिक्षा दर कुछ हद तक बढ़ी है, अब ग़रीब से ग़रीब मुसलमान भी अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने का ख्वाहिशमन्द होता है, मगर ये पेशरफ्त (अग्रसित) बहुत ज़्यादा इत्मिनान बक्श (संतुष्टि) नहीं है, इसलिये मज़ीद कोशिशे ज़ारी रखी जाये।

2. मालदार मुसलमान ग़रीब और कमज़ोरों के बच्चों की स्कूल की फीस का खर्चा उठायें, ताकि ग़रीब बच्चे पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खडे़ हो सके।

3. मदरसों और मस्जिदों में चलने वाले दीनी मक़तबों में अरबी, उर्दू के साथ-साथ हिन्दी व अंग्रेज़ी और कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करें।

4. माँ-बाप अपनी ज़मीन व जायदात में लड़कों के साथ लड़कियों को भी हिस्सा दें।

5. ’’ज़कात’’ का इजतिमाई निज़ाम (सामूहिक व्यवस्था) का़यम किया जाये, “साहिबे निसाब’’ (मालदार इस्लामिक दृष्टिकोण से) मुसलमान अपनी ’’ज़कात’’ को एक जगह इकट्ठा करें, ताकि उसके माध्यम से ग़रीब, मिसकीन, यतीम और बेसहारा लोगों की मदद की जा सके।

6. मुसलमान क़ानून के दायरे में रहे और किसी भी मामले में क़ानून को हाथ में न ले, और अगर कहीं तकलीफ देह बात (उत्पीड़न) नज़र आती है तो उच्च अधिकारियों से शिकायत करें।

केन्द्र सरकार व राज्य की सरकारों को हिदायत

1. मुल्क़ की सालमियत यानि देश की एकता व अखण्डता पर काम करने वाली श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार या अन्य सरकारे हो, उनके साथ हम काँधे से काँधा मिलाकर काम करने के लिये तैयार है।

2. राज्य सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों के उत्थान हेतु बहुत सारी स्कीमें बनाई है, मगर हक़ीक़त ये है कि इन स्किमों का कोई भी फायदा मुसलमानों को हासिल नहीं होता है, इसकी व्यवस्था में बदलाव किया जाये।

3. बेकसूर उलेमा और मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियों पर विराम लगाई जाये, इससे मुसलमानों के दरमियान असुरक्षा की भावना फैल रही है और विश्व में भारत की छवि धूमिल हो रही है।

4. लव-जिहाद, माॅब-लिंचिंग, धर्मान्तरण, टैररफण्डिंग और आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को भयभीत व परेशान किया जा रहा है, इस पर फौरी तौर से रोकथाम होना चाहिये।

5. चन्द कट्टरपंथि संगठन गाँव-देहात के कमज़ोर मुसलमानों की लड़कियों को डरा धमकाकर और लोभ लुभावने सपने दिखाकर शादी की मुहीम चला रहे है, जिससे हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द को ख़तरा लाहिक़ हो सकता है।

6. मुसलमानों को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाये।

7. ’’सबका साथ-सबका विकास’’ का नारा देने वाली हुकूमतों में सिर्फ एक विशेष समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया गया है, जो कुल मुस्लिम आबादी का चंद फीसद हिस्सा हैं, जबकि सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक है मगर इनको केन्द्र या राज्य में कही भी नुमाईन्दगी नहीं दी गई है। आखिर इस बड़े समुदाय को नज़र अन्दाज़ करने की क्या वजह है?

8. संविधान ने अल्पसंख्यकों इस बात की इजाज़त दी है कि वो खुद मुख्तारी के साथ अपने संस्थान स्थापित करें और संचालन करें ऐसी सूरत में हुकूमत को दखल देने की जरूरत नहीं है, जहां हुकूमत फण्ड देती है तो वहां उसको आधिकार हासिल है वरना दूसरे इस्लामिक संस्थानों में नहीं।  आज कल उत्तर प्रदेश हुकूमत मदरसों का सर्वे करा रही है जो कि संविधान के उसूलों के खिलाफ है।

9. सन् 1991 संसद कानून ने कहा कि 15 अगस्त 1947 में जो धार्मिक स्थल थे अयोध्या को छोड़कर, बाकी की यथास्थिति में स्थिर रहेगीं, इसमें किसी तरह का बदलाव या छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, और साथ ही इन धार्मिक स्थलों से सम्बन्धित मामले कोर्ट में क़ाबिले समाअत नहीं होगें। मगर इसके बावजूद बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की ईदगाह मस्जिद, बदायूं की जामा मस्जिद, कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद दिल्ली, ताज महल आगरा, कुतुब मीनार दिल्ली, और ईदगाह कर्नाटक आदि के मुकदमात कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिससे पूरे देश का माहौल खराब हो रहा है। केंद्रीय हुकूमत के मुखिया श्री नरेंद्र मोदी जी ध्यान दें।

10.पैग़म्बरे इस्लाम की शान में अदना सी भी गुस्ताखी मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर सकता है इस सिलसिले में केंद्रीय हुकूमत “पैग़म्बरे इस्लाम बिल” संसद में क़ानून लाये इस क़ानून के ज़रिए जो व्यक्ति गुस्ताखी करता है उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

11. केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें सभी समुदाय को साथ लेकर चले, और किसी समुदाय के साथ भेदभाव न करें, और सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों को हुकूमत में नुमाइंदगी दें।

राजनीतिक पार्टियों को हिदायत:-

1. राजनीतिक पार्टियाँ अपनी ज़रूरत के वक़्त और वोट लेने के लिये मुसलमानों को इस्तेमाल करती है, फिर सरकार बना लेने के बाद भूल जाती है, इसलिये उनको अपने काम करने के तरीकों में बदलाव लाना होगा।

2. मुसलमान किसी भी एक राजनीतिक पार्टी का गुलाम नहीं है, अब राजनतिक पार्टियाँ और उनके नेता मुसलमानों को बधुआ मज़दूर न समझें।

3. जो पार्टी मुसलमानों के लिये काम करेगी, मुसलमानों के मसाइल और उनके अधिकारों पर ध्यान देगी, मुसलमान उसके साथ खड़ा होगा।
बैठक में मुख्य रूप से इन उलेमा ने शिरकत की, ख़लीफ़ा मुफ़्ती आज़म हिन्द सूफी अब्दुलरहमान क़ादरी छत्तीसगढ़, ग्रांड मुफ्ती ऑफ इण्डिया के प्रतिनिधि मुफ्ती सादिक़ सका़फी केरला, मौलाना मज़हर इमाम बंगाल, मौलाना अब्दुस्सलाम कर्नाटक, मौलाना रिज़वान तामिलनाडू, मुफ्ती शाकिरूल का़दरी राजस्थान, मौलाना ज़ाहिद रज़ा रज़वी उत्तराखण्ड, कारी सग़ीर अहमद रज़वी देहली, मौलाना नज़ीर अहमद जम्मू कश्मीर, मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रज़वी बिहार। उत्तर प्रदेश से मुफ्ती सुल्तान रज़ा बहराइच, हाफिज़ नूर अहमद अज़हरी पीलीभीत, मौलाना आज़म अहशमती लखनऊ, हाजी नाज़िम बेग नूरी बरेली, मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना अशरफ बिलाली आदि उपस्थित रहे।

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