ज्योतिषाचार्य विपिन चंद्र शर्मा
धनु राशि, मकर और कुंभ राशि के जातकों की कुंडली में शनि की साढ़े साती चल रही है। वहीं मिथुन और तुला राशि के जातकों पर ढैय्या चल रही है। वहीं कुंभ राशि की बात करें तो शनि की साढ़े साती 24 जनवरी 2022 से चल रही है जो 3 जून 2027 को समाप्त होगी।जब यह प्रभाव किसी राशी के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.
शनि जब किसी राशि के बारहवें भाव में रहता है या राशि में रहता है या उस राशि के दूसरे भाव में रहता है तो उस राशि पर साढ़ेसाती चलने लगती है. इस प्रकार शनि लगातार तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.
लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है. परंतु ऐसा बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है. सबसे पहले देखना होगा कि आपकी व्यक्तिगत दशा क्या है. इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी. तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैय्या का फल बुरा होगा या अच्छा होगा.
अगर यह शुभ परिणाम दे तो करियर में सफलता मिलती है. व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है. साथ ही व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं. अगर साढ़ेसाती अशुभ परिणाम दे तो रोजगार के रास्ते बंद हो जाते हैं. स्वास्थ्य की जटील समस्याएं हो जाती हैं. कभी कभी दुर्घटनाओं तथा अपयश की स्थिति आ जाती है. साढ़ेसाती सबसे ज्यादा मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालती है.
कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती 24 जनवरी 2022 से शुरू हो गई थी. 17 जनवरी 2023 को शनि ने मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया था. इसके बाद से ही कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हुआ था. कुंभ राशि के जातकों पर से शनि की साढ़े साती 3 जून 2027 को समाप्त होगी.
शनि की साढ़े साती के दूसरे चरण में जातक को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है.
शनि की साढ़े साती के दूसरे चरण को सबसे ज्यादा पीड़ा दायक माना गया है. जब शनि 12वें भाव से पहले घर में आते हैं, तब शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो जाता है.
साढ़ेसाती के उपाय
रोज सुबह और सायं शनि मंत्र ” ऊं शं शनैश्चराय नम: ” का जाप करें. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल ता दीपक जलाएं. वहीं पर हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. भोजन में सरसों का तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें. साथ ही अपना व्यवहार और आचरण अच्छा रखें. इसके अलावा एक लोहे का छल्ला बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें. शनिवार को शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.
जय सियाराम हर हर महादेव
ज्योतिष आचार्य विपिन चंद्र शर्मा