कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अशफाक सकलैनी ने बजट को देखने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया को बताया कि संसद में पेश हुआ बजट आम लोगों के लिए न होकर पूंजीपतियों के फायदे के लिए है । इस बजट में बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं है । महंगाई को कम करने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है । पेट्रोल,डीजल,गैस के दामों में कोई कमी नहीं की गई है, यह बजट भी हर साल पेश होने वाले बजट की तरह, सिर्फ लोक लुभावना ही साबित होगा ।यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों को ध्यान में रखकर बजट बनाती है, जिस कारण बजट में युवाओं , किसानों , बेरोजगारों, श्रमिकों को कुछ नहीं मिलता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इस बजट में कुछ खास नहीं किया गया है। महंगाई पर कोई लगाम नहीं लगाई गई है ।और हर साल बजट पेश होता है और नई-नई घोषणाएं होती हैं ।लेकिन सरकार यह नहीं बताती है कि पिछले बजट में जो घोषणाएं की गई थी वह पूरी क्यों नहीं हुई।इस बजट में भी कुछ घोषणा कर दी जाएगी जोकि पूरी नहीं की जाएगी। नौकरी पेशा तबके को भी इस बजट में कोई सहूलियत नहीं मिलेगी। माननीय वित्त मंत्री जी ने 300 यूनिट फ्री बिजली का जो ऐलान किया है, यह ऐलान भी हर भारतीय को 15 लाख रुपए मिलेंगे वाली घोषणा की तरह ही जुमला साबित होगी। यह बजट भाजपा सरकार द्वारा पेश किया गया आखिरी बजट साबित होगा।
2047 के भारत की नींव को मजबूत करेगा आज का बजट , विपक्ष बोला कुछ नहीं है इसमें ,
बरेली। गुरूवार को वित्त मंत्री सीतारमण ने मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश किया। इस अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने कोई लोकलुभावन घोषणा नहीं की। पर पीएम मोदी ने कहा कि यह बजट भारत के गरीब ,महिला और किसान पर आधारित है। यह देश का बजट है। इसमें 2047 के भारत की नींव को मजबूत करने की गारंटी है। वही विपक्ष ने पेश हुए बजट को अल्पसंख्यक ,दलित विरोधी होने के युवाओं के नजरिये से बजट को बेहद खराब बताया। बसपा के जिलाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज का केंद्रीय सरकार का यह चुनावी बजट है। पिछड़ों,दलित, अल्पसंख्यकों के लिए इस बजट में कुछ नहीं हैं । पिछले दो पंचवर्षीय में केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों के बजट के हिस्से का 2% भी नहीं दिया। यह बजट देश के कुछ पूंजी पतियों के लिए और अमीर करने के लिए है ,यह केंद्रीय बजट कमजोर व गरीबों का चुनावी जुमला है।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता मयंक शुक्ला ने पेश हुए बजट को लेकर कहा कि सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी में लगी हुई है ,केंद्र की सरकार का यह विदाई बजट है ये निराशापूर्ण बजट उसी को दर्शाता है।कैग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले बजट का 22 प्रतिशत अभी तक उपयोग नहीं हुआ है । राष्ट्रीय कर्ज बढ़ा है, 2014 में कर्ज 55 लाख करोड़ था, अब 175 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुका है , 2016 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का वादा भी पूरा नहीं किया गया ।पेट्रोल डीजल की कीमतें एवं महंगाई कम करने के लिए कुछ नहीं है । जब रोजगार की दिशा में धरातल पर कोई काम होगा ही नहीं तो युवाओं को क्या फायदा होगा ,ये समझ से परे है ।