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बरेली में होली के मौके पर होता है रामलीला का मंचन , इस बार कोरोना भी हुरयारो का नहीं कर पायेगा हौसला पस्त !

बरेली |

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  मथुरा की होली के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा  लेकिन बरेली की होली भी किसी भी  शहर से  कम भव्य नहीं  होती   |   यहां की होली भी ऐतिहासिक है यहां की एक बात और विशेष है पूरे भारत में यहां होली के मौके पर रामलीला का आयोजन होता है | यही वजह है इसे बरेली के ही  लोग ही नहीं बल्कि भारत के कौने कौने से लोग देखने आते है | बताया यह भी जाता है कि होली के मौके पर कई विदेशी भी होली को देखने के लिए हर वर्ष अपने करीबियों के साथ बरेली पहुंचते है |

 

जानकार बताते है कि बरेली में होली के मौके पर दुनिया की ऐतिहासिक और इकलौती रामलीला होती है। ब्रिटिश काल मे 1861 में शुरू हुई ये रामलीला 161 सालो से लगातार हो रही है और फागुन की पूर्णिमा यानी छोटी होली  वाले दिन राम बारात निकाली जाती है। जो शहर के विभिन्न इलाकों से होकर निकलती है |  इस दौरान पूरा शहर होली के रंगों में सराबोर हो जाता है | इस दौरान  हुरयारे अपने मस्त अंदाज में दिखाई देते है | माना यह भी जा रहा है लोग कोरोना के संक्रमण को कम देखते हुए  जमकर इस बार होली खेलेंगे|

बरेली की रामलीला होली वाली रामलीला के रूप में विश्व विख्यात है इसीलिए इसे वर्ल्ड हैरिटेज के नाम से भी जाना जाता है। 2008 में यूनेस्को ने इस रामलीला को वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल किया था। 2015 में बरेली की होली वाली रामलीला  को विश्व धरोहर घोषित  किया गया। यूपी सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से हर वर्ष होली वाली रामलीला के लिए एक लाख रुपये की सहायता दी जाती है।

अंग्रेजों ने रामलीला के मंचन को रोकने की थी कोशिश 

अंग्रेजो से जब बगावत चल रही थी तब उनसे मोर्चा लेने के लिए अंग्रेजो को मुंहतोड़ जबाब देने के लिए प्रभु श्रीराम की सेना बनाई गई। जिसके बाद बड़ी बमनपुरी में रामलीला का मंच शुरू हुआ। अंग्रेजो ने रामलीला को रुकवाने का प्रयास किया लेकिन वो इसमे सफल नही हो सके और 1861 में शुरू हुई ये रामलीला तब से निरंतर चली आ रही है। रामलीला का खास आयोजन राम बारात होती है। राम बारात फागुन की पूर्णिमा (छोटी होली) वाले दिन राम बारात निकाली जाती है। राम बारात में प्रभु श्री राम की झांकी, भगवान नरसिंह की झांकी के अलावा सैकड़ो खुले ट्रालो में बड़े बड़े ड्रमों में रंग भरकर रखा जाता है। सभी ट्रालो पर सैकड़ो हुरियारे होते है जो बड़े बड़े पम्पो से एक दूसरे पर रंगों की बौछार करते है।

 

 

रामबारात में देखने को आपसी भाईचारे की झलक 

शहर के मुख्य चौराहों पर हुरियारों के ऊपर लोग रंगों की बरसात करते है तो मुस्लिम समुदाय के लोग फूलों से राम बारात का स्वागत करते है। बड़ी बमनपुरी से शुरू हुई राम बारात बिहारीपुर ढाल, कुतुबखाना घन्टाघर, नावेल्टी चौराहा, रोडवेज, बरेली कॉलेज, कालीबाड़ी, श्यामगंज, सिकलापुर, मठ की चौकी, कुतुबखाना, बड़ा बाजार, साहूकारा, किला, सिटी स्टेशन से डलाव वाली मठिया होती हुई बमनपुरी के नरसिंह मंदिर पर समाप्त होती है। राम बारात का दूसरा मोर्चा चाहबाई से निकलता है और वो कुतुबखाना से मुख्य बारात में शामिल होता है।

रामबारात के दौरान होते है सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त 

राम बारात में रंग और पानी की व्यवस्था जिला प्रशासन की होती है। इसके लिए फायर बिग्रेड की गाड़ियां और नगर निगम के टैंक होरियारों के साथ साथ चलते है ताकि होरियारों को पानी की कोई कमी न रहे। इसके साथ ही डीएम और एसएसपी राम बारात के साथ साथ चलते है। राम बारात की सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी और पैरामिलिट्री फोर्स साथ चलती है।  सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरे भी राम बारात की सुरक्षा के लिए लगाये जाते है ताकि कोई उपद्रवी रंग में भंग न कर दे।

बरेली की होली मथुरा की होली को देती है टक्कर 
बरेली की होली को देखकर यहां आने वाले लोग कहते है कि यहां की होली मथुरा की होली की तरह भव्य होती है | हर तरफ हुरियारे नाचते गाते हुए  नजर आते और एक दूसरे के गले लगकर पुराने  गिले सिकवे  को दूर करते हुए लोग नजर भी आ जाते है |

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