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सोशल मीडिया से चुनावी मझधार पार करने का दम भर रहे नेता जी

बरेली। पिछले 10 सालों में सोशल मीडिया ने जो तरक्की की शायद उतनी तरक्की किसी अन्य प्लेटफार्म को नसीब हो पाई होगी। यह वजह है नेताओं को अपने सिपहसालार से ज्यादा सोशल मीडिया पर ज्यादा भरोसा है। यह वजह है लोकसभा चुनाव लड़ रहे नेताओं ने सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा भरोसा जताते हुए टीम पर भारी भरकम बजट की व्यवस्था की है।
जानकारी के मुताबिक बरेली में चुनाव लड़ रहे नेताओं ने सोशल मीडिया टीम को बाहर से बुलाया है तो कुछ नेताओं ने लोकल टलेंट पर भरोसा जताते हुए स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया है।अप्रैल माह की गर्मी भी नेताओं को परेशान कर रही है ऐसे में बीमार नहीं हो जाये तो उसके लिए भी रेस्ट का दिन तय है। तो वहीं कुछ प्रत्याशी सुबह के वक्त और शाम के वक्त ही प्रचार कर रहे है। नेताओं के दफ्तरों का हाल यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म में पत्रकारों की बेहद मांग है। जानकारी के मुताबिक 15 दिन के काम के लिए अच्छा  2 से 2.5 लाख तक का पैकेज मिल रहा है। कॉलिंग के लिए भी युवाओं को 500 से हजार रुपये का भुगतान मिलने के साथ खाने के साथ चाय पानी की बेहतर व्यवस्था मिल रही है।

सोशल मीडिया पर आईटी एक्सपर्ट का इतना काम है कि वह उनके विपक्षी की कमियों को पकड़े और उनके मुताबिक पोस्ट तैयार करें।

सोशल वार में पुरानी वीडियो और अखबारों के बयान बनते है हथियार
सोशल मीडिया से जुड़े प्रोफेशनल  एक चुनाव खत्म होते ही दूसरे चुनाव में जुट जाते है | यही वजह रहती है वह छोटी से बड़ी बात की जानकारी रखते है | राजनेताओं के वीडियो बयान रखते है ।अखबारों की कटिंग को रखते है और समय आने पर उसका बेहतर इस्तेमाल करके अपनी पसंद के राजनीतिक दलों के लिए माहौल बनाते है | हालांकि देश में इस बात पर भी चर्चा होती है  कि मोदी सरकार बनने की  कई वजहों में एक वजह सोशल मीडिया भी   है |

सोशल मीडिया आज भी प्रचार का सबसे सस्ता साधन

देश में प्रचार के आज भी कई माध्यम है लेकिन इन प्रचारों के माध्यम में सोशल मीडिया सबसे सस्ता और व्यापक असर वाला साधन है | इस काम  को सामान्य जानकारी वाला व्यक्ति भी कर सकता है | इसके लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं है | सोशल मीडिया पर लाइव के ऑप्शन आने से  सोशल मीडिया यह और प्रभावी  हो गया है | आज राजनीतिक दल अपनी प्रेस वार्ता और जनसभा करते समय यूज करते है |

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