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कर्बला की शहादत गवाह, ज़ुल्म इस्लाम का हिस्सा नही: अहसन मियां

मोहम्मद आदिल

Bareilly (बरेली) यौम-ए-आशूरा के मौके पर दरगाह आला हज़रत पर दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) साहब की सरपरस्ती में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) के निवास पर कर्बला के शहीदों को याद किया गया। नज़्र और लंगर का एहतिमाम भी किया गया।

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज *मुफ्ती अहसन मियां ने कर्बला के 72 शहीदों को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि सब्र की मेराज़ का नाम इमाम हुसैन है। हज़रत सय्यदना इमाम हुसैन अपने 72 जाँनिसार साथियों समेत ज़ालिमों के हाथों शहीद होकर दुनिया को ये पैगाम दे गए कि सही कदम उठाने वाला शहीद होकर भी हमेशा ज़िंदा रहता है और यज़ीदियत हर दौर में हुसैनियत से हारती रहेगी। उनकी शहादत इस बात की गवाह है कि ज़ुल्म इस्लाम का हिस्सा नही है।

इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को यह पैगाम देना था कि इंसान सच्चाई की राह पर सब्र का दामन थामे रखे तो उसे कामयाब होने से कोई नही रोक सकता।
मुसलमान जब तक अहले बैत का दामन थामे रहेगा कभी गुमराह नही होगा। आपकी कुर्बानी में हमे ये दर्स (शिक्षा) भी देती है कि जब भी परेशानी आये तो सब्र से काम ले। ज़ालिम के आगे सर तो कटा दे लेकिन सर हरगिज़ हरगिज़ न झुकाए।

मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि शहीद-ए-आज़म इमाम हुसैन की शहादत हमे अपने मुल्क से मोहब्बत का संदेश भी देती है। इमाम हुसैन अपने नाना पैगम्बर हज़रत मोहम्मद स0 ब0 की पाक ज़मीन पर जंग नही चाहते थे इसलिए मजबूर होकर अपना वतन छोड़ा। जाते वक्त इमाम हुसैन को वतन छोड़ने का बहुत दुःख था। आगे कहा कि मोहर्रम को अगर आज के हालात से जोड़कर देखा जाए तो यह उस दौर का आतंकवाद था। आज मुल्क-ए-हिंदुस्तान ही नही बल्कि दुनिया के बहुत से मुल्क आतंकवाद का शिकार है। हज़रत इमाम हुसैन ने भी यज़ीद नामी आतंकवादी के हाथों बैत मंज़ूर न की। अपना पूरा का पूरा घर लूटा दिया लेकिन मज़हब-ए-इस्लाम पर आँच न आने दी। खुद शहीद होकर इस्लाम को ज़िंदा कर गए।

इस मौके पर मौलाना ज़ाहिद रज़ा, मौलाना बशीरुल क़ादरी, सय्यद फैज़ान रज़ा,हाजी जावेद खान,शाहिद खान,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,औररंगज़ेब नूरी,अजमल नूरी, मंज़ूर खान,आलेनबी,इशरत नूरी, आसिफ नूरी,सय्यद माज़िद,मुजाहिद बेग, सय्यद एजाज़,गौहर खान,सुहैल रज़ा, तारिक सईद,नफीस खान, शारिक बरकाती, यूनुस गद्दी, ज़ोहिब रज़ा, जावेद रज़ा खान,आदि लोग मौजूद रहे।

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