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रामपुर जिला जेल अधीक्षक बने कैदियों के लिए प्रेरणा , अब कैदी बना रहे है जैविक खाद ,

मुज्जसिम खान 

रामपुर :  जेल के अंदर बंद कैदियों और बंदियों की उनके जुर्म के मद्देनजर अदालतों में कानूनी सुनवाई के बाद उनकी आजादी छीन ली जाती है और उन्हें सुधारने के लिए सुधार गृह यानी जेल में रखा जाता है अगर ऐसे में कोई उनमें जीने की अलख जगा दे तो यह सचमुच उस शख्स की तारीफ की बात ही होगी। जी हां कुछ इसी तरह रामपुर के जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य की कार्यशैली है जो बरसों से जेल में बंद कैदियों और बंदियों को हुनर सिखा कर उनमें जीने की अलख जगा रहे हैं बल्ब बनाना सिखाने के बाद अब उनकी सरपरस्ती में जेल के कैदी जैविक खाद बना रहे हैं | 
 रामपुर जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य उन होनहार अफसरों में से एक हैं जो बरसों से ढर्रे पर चली आ रही जेल प्रशासन की पुरानी व्यवस्था को बदलने का प्रयास करते रहते हैं यह उनके प्रयास का ही नतीजा है कि तीन दर्जन से अधिक बंदियों और कैदियों ने पहले तो उनकी सरपरस्ती में एलईडी बल्ब बनाने का काम सीखा और अब इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए जैविक खाद बनाने की विधि सीख रहे हैं।

 रामपुर जेल मे बड़ी संख्या में कूड़ा करकट और अन्य वेस्ट मटेरियल प्रतिदिन इकट्ठा होता रहा है ऐसे में इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रहे जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य ने इस कूड़े करकट को एक नया रूप देने का मन बनाया और वह अपने मातहतों के साथ मिलकर अपनी सोच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जुड़ गए जिसका नतीजा यह हुआ कि तमाम कूड़ा करकट को जेल के कैदियों और बंदियों के सहयोग से परिसर में निश्चित स्थान पर एकत्र किया गया और यहीं से शुरू हुआ कल्पना का वह सिलसिला जो अब कुछ कैचुओं के माध्यम से जैविक खाद बनाने के रूप में पूरा हो चुका है।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार द्वारा जगह जगह कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को हुनर सिखाया जा रहा है अगर सही मायनों में पीएम मोदी के इस सपने को पूरा करने की सही जगह तलाश की जाए तो उनमें से एक रामपुर की जिला जेल भी है यहां पर जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य की सरपरस्ती में प्रतिदिन कैदियों को एलइडी बल्ब बनाए जाने का काम तो सिखाया जाता है साथ ही अब उनको जैविक खाद बनाने की विधि भी सिखाई जा रही है जेल प्रशासन की मंशा साफ है की जो भी कह दिया बंदी अपनी सजा पूरी करने के बाद जेल से निकले तो वह किसी अपराधी की तरह नहीं बल्कि जेल मे सीखे गये उस हुनर के बल पर एक शरीफ और आम नागरिक की तरह अपना जीवन यापन करें जैसा हर सभ्य इंसान की परिकल्पना होती है।

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