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 डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कांग्रेस -सपा को परिवारवाद के मुद्दे पर लिया निशाने पर , आपातकाल पर कांग्रेस को सुनाई खरी खोटी 

 

बरेली : डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा है कि आजकी समाजवादी पार्टी असली समाजवादी पार्टी नहीं है | असली पार्टी तो आचार्य नरेंद्र देव , राजनारायण जी की थी , लेकिन  इन लोगों ने समाजवादी पार्टी को एक झटके के साथ एक परिवार के कब्जे में लाने का काम किया था और प्रदेश में समाजवादी पार्टी होने का सन्देश दिया था | जबकि समाजवादी का  यह उद्देश्य होता है कि उनका मुखिया कोई नहीं होगा ,उनकी सम्पत्ति का वारिस कोई नहीं होगा | बजबकी समाजवादी पार्टी अपने उदय से ही एक परिवार की पार्टी बन रहेगी | देश की आजादी की लड़ाई कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में लड़ी गई थी और उसके मुखिया महात्मा गाँधी होते थे | जब अंग्रेजों से वार्ता हुई तो महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुई |

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देश के लोगों ने यह  समझा था कि कांग्रेस के अगुवाई में  देश की आजादी को लड़ा था और उसके नेता महात्मा गाँधी माने गए थे | लेकिन कांग्रेस ने महात्मा गांधी के आदर्शो को ताले में बंद कर दिया और उनके नाम को अपने नाम के साथ जोड़कर देश की जनता को गुमराह करे सत्ता पर काबिज होने का काम किया | 25 जून 1975 में श्रीमती गाँधी के चुनाव को उस समय के तत्कालीन कोर्ट ने रद्द कर दिया था | और उस ,समय के  राष्ट्रपति ने श्री मती गांधी के कहने पर देश में इमरजेंसी लगा दी थी |  यह बात उन्होंने बरेली में  आयोजित आपातकालीन कार्यक्रम के दौरान कही |

 

वही बृजेश पाठक ने परिवारवाद के मुद्दे पर सपा -कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि भाजपा एक ऐसा दल है जहाँ बूथ स्तर का नेता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है जबकि अन्य पार्टियों में ऐसा नहीं है | उन्होंने ने सपा -कांग्रेस का नाम लेते हुए कहा कि मुलायम सिंह के बाद उनका बेटा अखिलेश यादव पार्टी के अध्यक्ष बने इसी तरह कांग्रेस में सोनिया गांधी के बाद राहुल गाँधी पार्टी अध्यक्ष बने जब राहुल जी शादी कर लेंगे तो उनका बेटा अध्यक्ष बनेगा नहीं तो प्रियंका गाँधी कोई रास्ता निकाल लेंगी | उन्होंने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि हमने मुगलों में सुना था कि पिता को धक्का देकर बेटा गद्दी हासिल कर लिया करता था | यहां तो लोगों ने सपा में देखा |
बृजेश पाठक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आज भी हम 25 जून 1975 के दिन को याद कर दुखी हो जाते हैं |

 

 

हिंदुस्तान के इतिहास में ऐसा काला दिन जुड़ गया हैं | आज अपने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान किया है साथ ही उस काला दिन को भी याद  कर रहे है जब देश में इमरजेंसी लगी थी | कोंग्रस की सरकार में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था | हिंदुस्तान के संविधान को तोडा मोड़ा गया था | हम लोग कांग्रेस के उन कारनामों को आज जनता को बताने का काम कर रहे है | कार्यक्रम में इमरजेंसी के दौरान बंद रहने वाले क्रांतिकारियों को भी सम्मानित किया गया | जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी में अपनी विशेष भूमिका निभाने वाले 97 लोग आज भी हैं |

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