-त्रयोदशी, पुनर्वसु नक्षत्र और सिद्धि योग का रहेगा संयोग
बरेली। देवाधिदेव महादेव से जुड़ने और उनकी भक्ति करने के लिए सावन का महीना और सावन के सोमवार विशेष महत्व रखते हैं। हर तरफ मंदिरों में लोगों की भीड़, भजन कीर्तन की आवाज, मंत्रोच्चारण और बड़े-बड़े कावड़ियों के जत्थे इस महीने की महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को एक से बढ़कर एक योग बनते जा रहे हैं।
उसी क्रम में सावन का छठ सोमवार बेहद ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस सोमवार को त्रयोदशी तिथि पुनर्वसु नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोगों का संगम रहेगा। वही ज्योतिष के अनुसार त्रयोदशी तिथि भगवान भोले को ही समर्पित मानी जाती है। और जबकि, पुनर्वसु नक्षत्र में किया गया कोई भी कार्य यश-वर्धक संपन्नता और उन्नति दायक माना गया है। वही सिद्धि योग मनोरथ को पूर्ण करने वाला है। सावन महीना सावन की शिवरात्रि भी रहेगी जिसमें पूजा-पाठ का वैसे भी चौगुना फल प्राप्त होता है। कुल मिलाकर छठे सोमवार को भोलेनाथ की अपार कृपा भक्तों पर बरसेगी। इस दिन पूजा-अर्चना से भगवान शिव षड्विकारों का दमन करेंगे और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देंगे। धर्म शास्त्रों के मुताबिक काम, क्रोध, मद लोभ,मोह और ईर्ष्या यह षडविकार होते हैं। यह जीवन की उन्नति के लिए बाधक माने जाते हैं। ऐसे में छठे सोमवार को पूजा अर्चना करने से भगवान शिव इन षड्विकारों का दमन करेंगे और साथ ही जीवन को सुखद और समृद्ध बनाएंगे।
*सोमवार पूजा विधि*
आचार्य मुकेश मिश्रा के अनुसार सावन के महीने में सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव को शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती करें, महिलाएं इस दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।मान्यता है सावन सोमवार के दिन पांच बार रुद्री पाठ करने सभी ग्रहों की शांति होती है। नौ रूद्र पाठ करने से पुत्र-पौत्र, धन-धान्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।