बरेली। देश में बढ़ती हुई संख्या का असर धीरे धीरे देखने को मिल रहा है। सरकार स्कीम चलाकर आबादी को नियंत्रित करने की कोशिश में है। पर महिलाएं खुद ही सरकार के नसबंदी प्रोग्राम को फेल करने की वजह है। महिला ही नहीं चाहती है कि उनक पति नसबंदी को कराये। बल्कि महिलाएं पति की जगह खुद ही नसबंदी कराने को तैयार हो जाती है। इसके पीछे की वजह महिला अस्पताल का स्टाफ बताता है कि महिलाओं का मानना है कि पुरुष के नसबंदी कराने से कमजोरी आती है। ऐसे में नसबंदी होने पर आदमी अपनी नौकरी अच्छे नहीं कर सकेगा। नसबंदी की संख्या कमी की दूसरी वजह यह भी है कि मुस्लिम समाज की महिलाएं भी धर्म के लिहाज से नसबंदी को कराना ठीक नहीं मानती है। इस वजह से भी नसबंदी कराने वालों की महिलाएं की संख्या और कम हो जाती है। जिला अस्पताल में परिवार नियोजन सलाहकार का कहना है कि नसबंदी के लिए पति पत्नी की रजामंदी होना बेहद जरूरी होती है। लेकिन जब पति पत्नी अस्पताल पहुंचते है तो पति पत्नी एक राय नहीं हो पाते है अंत मे पत्नी कॉपर टी लगवाकर वापस चली जाती है।
निर्माणधीन कुतुबखाने ओवरब्रिज ने नसबंदी के प्रोग्राम पर लगाई रोक
फैमिली प्लानर काउंसलर का यह भी कहना है कि कुतुबखाना ओवरब्रिज के चलते महिलाओं ने जिला अस्पताल में काफी संख्या में आना बंद कर दिया , जिस वजह से भी नसबंदी का काम प्रभावित हुआ। अब उम्मीद है पुल के शुरू होने और रास्ता का ट्रैफिक कम होते ही महिलाओं के अस्पताल में आना जाना शुरू हो गया तो नसबंदी की संख्या में इजाफा होगा।
नसबंदी कराने वालों की संख्या
फरवरी माह : दो (एक पुरुष , एक महिला) ने केवल नसबंदी कराई
वर्ष 2023 में महिला जिला अस्पताल में 11 नसबंदी हुई , जिसमें अधिकतर महिलाएं ही है ।
नसबंदी के लिए समय समय पर स्वास्थकर्मियों द्वारा किया जाता जागरूक
महिला जिला अस्पताल के सीएमएस त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि नसबंदी कराने वालों की संख्या समय समय पर कम या ज्यादा हो सकती है . स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा अभियान चलाकर नसबंदी के लिए पुरुष महिलाओं को जागरूक किया जाता है ,साथ ही अस्पताल में जानकारी लेने के मकसद से पहुंचने वाले लोगो की भी स्टाफ द्वारा काउन्सलिंग भी की जाती है ।