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स्पेशल स्टोरी : मीरगंज एसडीएम फरियादी को जमीन पर बैठाने के चलते डीएम ने की कार्रवाई , यह है खबर का सच !

बरेली। एसडीएम मीरगंज उदित पवार के द्वारा फरियादी को मुर्गा बनाने का प्रकरण पूरे यूपी में सुर्खियां बटोर रहा है। एसडीएम भी फरियादी को मुर्गा बनाये जाने से मना कर चुके है। हालांकि एसडीएम मीरगंज घटना को लेकर चूक जरूर गए । अगर एसडीएम फरियादी की हरकत पर ध्यान देते तो मामला आगे बढ़ता ही नहीं । दरसल स्थानीय पत्रकार कुछ पत्ते खोलते हुए कहते है कि मामला कुछ और था जो मीडिया तक सही नहीं पहुंचा । जितना मीडिया के सामने बताया गया या परोसा गया उतना ही सच मान लिया गया।

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इस बीच मुर्गा बनने वाला पप्पू का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह कह रहा है कि जब वह अपनी शिकायत लेकर एसडीएम तक पहुंचा तो एसडीएम ने उससे भला बुरा कहा । पप्पू यह भी कह रहा है कि उसे न्याय नहीं मिलेगा तब तक मुर्गा बनता रहेगा। (यह शब्द बेहद महत्वपूर्ण है )

वही बरेली डीएम ने मामले को गंभीर मानते हुए एसडीएम पवार को शुरुआती जांच में दोषी मानते हुए मुख्यालय से अटैच कर दिया है। सवाल यह उठता है कि एसडीएम की बात पर गौर करना भी जरूरी है । उन्होंने मीडिया को बताया कि एक व्यक्ति अचानक नीचे बैठकर मुर्गा बन गया , इसी दौरान पीछे से आये दो व्यक्तियों ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।

 

डीएम शिवकांत द्विवेदी ने अपनी कराई हुई जांच में पाया कि एक व्यक्ति को आपत्तिजनक नीचे बैठाया गया है। इसके बाद उन्होंने एसडीएम मीरगंज पर कार्रवाही करते हुए उन्हें जिले से अटैच कर दिया है और उनकी जगह नए एसडीएम की तैनाती बात कह दी।

 

फ़ाइल फोटो : मोहित यादव

खबरों का नरेटिव किसी की जिंदगी पर पड़ सकता है भारी,

खबरों को जनता के बीच तेजी से पेश करने साथ उसके गढ़ने की कला को खबरों की दुनिया में बेहद पसंद किया जाता है। कभी यह जल्दी खबर लिखने , पढ़ने वाले , या फिर खबर से जुड़े किरदारों पर भी भारी पड़ जाता है। हाल में यूपी के मैनपुरी में एक ऐसी घटना हुई जहां पत्रकारिता से जुड़े तमाम लोगों को सोचने को मजबूर किया जो अपने काम को एक धर्म की तौर पर लेते है।

 

बरेली में रोडवेज में संविदा के तौर पर परिचालक की नौकरी करने वाले मोहित यादव ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उनसे जुड़ी खबर को एक तरफा कुछ मीडिया कर्मियों द्वारा सजाया गया था जिसका असर मोहित के जीवन पर हुआ उसकी नौकरी चली गई , परिवार के सामने आर्थिक तंगी सामने आ गई ।

 

 

मोहित यह सब देख टूट गया बाद में उसने अगस्त के महीने में आत्महत्या कर ली। मोहित के करीबियों ने उस समय बताया था कि मीडिया में यह खबर आई थी कि मोहित ने  नवाज पढ़वाने के लिए बरेली रामपुर के बीच नवाज के लिए रोक दी थी । लेकिन सच यह था कि मोहित ने बस को कुछ यात्रियों को पेशाब आने के चलते रोकी थी। इसी बीच कुछ नवाजी बस से उतर गए और नवाज पढ़ने लगे । इसके बाद किसी ने ट्वीट करके मामले की शिकायत कर दी बाद में अधिकारियों ने मीडिया में आई खबरों के आधार पर मोहित को सस्पेंड कर दिया। इस खबर से मोहित के परिवार को जो नुकसान हुआ उसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता। पर यह सीख कुछ साथियों को मिल गई जिस तरह कुछ बोलने से पहले तोला जाता है उसी तरह लिखने से पहले सौ बार जरूर सोचा जाए।

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