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फादर्स डे स्पेशल : सब कुछ देने के बाद तन्हा रह गया  बाप ,अब बस शराब बची सहारा ,

बरेली | परिवार के लोगों की हंसी से गुलजार परिवार में कब चुपके से परेशानी आ जाए कहना मुश्किल होता है | बरेली में भी एक खुशहाल परिवार के साथ ऐसा हुआ जिसने भी सुना वह परेशान हो गया | आज से करीब 22  साल पहले उत्तराखंड के काशीपुर में रहने वाला कुंदन की जिंदगी सही मायने में शुरू होती है और वह काम के सिलसिले में अपने माँ -बाप का घर छोड़कर रुद्रपुर में शिफ्ट हो जाता है | कुंदन का काम भी रुद्रपुर में चल पड़ता है | वह शुरू में एक कंपनी में ठेकेदारी शुरू करता है बाद में खुद का बैटरी का व्यवसाय शुरू कर देता है | इसी दौरान उसकी मुलाकात रुद्रपुर के एक मोहल्ले की रहने वाली सुनीता से हो जाती है | बाद में एक दो मुलाकात बाद एक दूसरे को दिल दे बैठते है  और प्रेमविवाह भी कर लेते है |
पत्नी की मौत के बाद बिखरा परिवार :
कुछ विरोध और आशंकाओं के चलते कुंदन और उसकी पत्नी सुनीता रुद्रपुर छोड़कर बरेली में शिफ्ट हो जाते है | इस दौरान उनकी तीन संताने होती है | जिसमें से एक संतान अपनी दादी के साथ काशीपुर में शिफ्ट हो जाता है | वह दादी के साथ रहकर उत्तराखंड के एक कॉलेज से बीटेक करता है | लेकिन माँ -बाप की कभी कभी लगने वाली डाट की वजह नाराज होकर अपने मां बाप से करीब करीब रिश्ते खत्म से कर लेता है | वही कुंदन के बेटा करण और काजल उसकी साथ रहते है | सभी की हंसते हुई जिंदगी बीतती जाती है | कुंदन भी एक कुशल व्यवसाई हो जाती है उसके पास भी गाड़ी और रुपैया -पैसा हो जाता है | कुंदन अपने बच्चों की एक मांग पर चांद खरीदकर लाने की इच्छा रखता है | आस पड़ोस के लोग कुंदन के परिवार का तालमेल देखकर यह बात कहने में जरा भी देर नहीं करते थे कि कुंदन का परिवार जैसा कोई परिवार नहीं है | कुंदन भी अपने परिवार की हर खुशी को पूरा करने में लगे रहता है | इसी बीच देश में कोविड का संक्रमण फैलता है और कुंदन की पत्नी सुनीता को भी कोविड हो जाता है | कुंदन अपनी पत्नी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराता है लेकिन पुरानी कुछ बीमारियों की वजह से सुनीता कोविड के संक्रमण से नहीं लड़ पाती है और अस्पताल में मौत हो जाती है |
पिता ने बच्चों के लिए परवरिश के रात दिन किये एक :
कुंदन अपने को सँभालने की कोशिश करता है लेकिन नहीं कर पाता है हालाँकि वह सुनीता की मौत के दो तीन महीने बाद कुछ बड़ो के समझाने के बाद अपने पर कुछ कण्ट्रोल करता है | और शराब को पीना भी कम कर देता है | कुंदन अब धार्मिक हो जाता है अब वह गुरुद्वारा के साथ मंदिरों में शांति पाने के मकसद से जाने लगता है | वह अपने व्यापार को एक फिर पटरी पर ले आता है | कुंदन का अक्सर कोलकत्ता  के साथ अन्य शहरों में आना जाना शुरू होता है | कुंदन फिर भी अपने दोनों बच्चों के लिए इतना डिबोटि रहता है कि बच्चों को बुखार आने पर उनका बिस्तर तब तक नहीं छोड़ता है जब तक उनकी तबियत सही नहीं हो जाती है , यहां तक कुंदन अपने बच्चों के लिए बढ़िया से बढ़िया ड्रेस खरीदने के साथ छुट्टी होने पर अच्छे से खाना बनाने में काम लगा रहता हैं ताकि उसके बच्चों  को कभी मां की कमी नहीं खले | कुंदन की बेटी इसी बीच 18 की और बेटा 19 वर्ष का हो जाता है | करण भी पिता को सहारा देते हुए कुंदन के काम में लगता है और दूसरी तरफ वह अपनी पढाई जारी रखता है |
बेटी ने पिता की बड़ाई परेशानियां :
कुंदन को अपनी जवान बेटी की चिंता सताने लगती है कि वह घर पर रुक नहीं पाता और आज का समय भी उतना ठीक नहीं है | दोनों बाप -बेटा फैसला करते है कि वह काजल की शादी करके अपनी जिम्मेदारी को पूरा करेंगे | कुंदन अपने रिश्तेदारी में बात करता है कुछ दिन बाद ही उसे रिश्तेदारी में एक अच्छा रिश्ता मिल जाता है | कुंदन अपनी माँ के सहयोग से बेटी की शादी बड़े धूमधाम से उत्तराखंड के एक व्यवसाई से कर देता है | बेटी अपने घर खुशी ख़ुशी खुशी  चली जाती है |  काजल एक विदा के बाद दूसरे विदा पर अपने घर फिर आती है | कुछ दिन वह रूकती है और अचानक सुबह तड़के ही अपने घर से गायब हो जाती है | घर वाले उसे ढूंढने की कोशिश करते है लेकिन उसका पता नहीं चलता है |
मामला पुलिस तक पहुंचा :
कुंदन पति पत्नी का विवाद समझकर काजल के पति से बात करता हैं | पति अपने घर में इस मामले की जानकारी देता है कि काजल अपने मायके गई थी लेकिन वह वहां से लापता हो गई है | कुंदन का दामाद शक होने पर घर की तलाशी लेता तो पता चलता है कि घर से काफी कैश और जेवर गायब है | इसके बाद दोनों परिवारों को समझ में आ जाता है कि मामला कुछ ज्यादा गंभीर है |  मामले की सूचना दोनों परिवारों द्वारा अपने अपने सम्बंधित थानों में दी जाती है | दोनों परिवारों में आरोपों का दौर शुरू होता है | इसी दौरान काजल का फ़ोन आता है की उसने घर से भागकर अपने पसंद के लड़के से शादी कर ली है और वह मुंबई में है |  वह अपने नए पति के साथ खुश है | कुंदन अपना माथा पकड़कर बैठ जाता है और अपनी बेटी से पूछता है कि बेटी बताओ मैंने तुझे पालने में कहा गलती कर दी | मेरी समाज में क्या इज्जत रह गई | अगर कुछ था तो बताया क्यों नहीं |
पराये शहर ,जिस शहर में वह काम करने आया था जहां कोई उसका नहीं था ऐसे में वह अपना दर्द बांटे तो किसके साथ बांटे , कुछ दिन तो कुंदन  ने बात इज्जत के लिए छिपाने की कोशिश की लेकिन बाद में उसकी इतनी परेशानी बड़ी उसने खुद ही लोगों के बीच अपना दर्द यह कहकर बाँटना शुरू कर दिया कि मेरी बेटी ने मेरे साथ ऐसा करा | अब कुंदन और करण ने  इस दुःख से उभरने के लिए शराब को अपना सहारा बना लिया , दोनों आसपड़ोस में बैठने की जगह शहर के दूसरे जगहों पर जाकर  बैठते है |  फिलहाल कहानी आगे बाद रही है मामला चर्चा में है कुछ लोग तो यह भी कहते है कि कुंदन के खुशहाल  परिवार को ऐसी नजर लगेगी  कि  एक तरफ तो कोविड के चलते कुंदन की पत्नी ख़त्म हो गई वही दूसरी और बेटी ने भी पिता को धोखा दे दिया |
बच्चे पिता से साझा करें अपने मन की बात :
बेटा भी पिता के रास्ते पर चल दिया काश करण ही अपने पिता का सहारा बनता तो अपने पिता को इस मुसीबत की घड़ी से निकाल लेता | इस कहानी का एक ही मकसद यही है जो लोग   मां -पिता की तुलना करने दोनों में एक को अच्छा बताने की कोशिश करते है उन्हें यह समझना चाहिए एक पिता रोकर नहीं बल्कि हर हालात से लड़कर अपने बच्चों के लिए रास्ता बनाता है | वह कभी यह नहीं बताता है कि वह अपने बच्चों की  पढाई और उनके  खर्चों को पूरा करने के लिए उसे क्या क्या करना पड़ा है | आज फादर्स दे अपने पिता को प्यार करे , अगर पिता के प्रति प्यार जताना नहीं आता तो कुछ गिफ्ट करके उन्हें अपनापन का जरूर  एहसास कराएं |
नोट : रियल स्टोरी पर बेस है सभी किरदारों की पहचान को छिपा गया है | 

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