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मूर्तिकार बिकसे की कलाकृति मेडिक्स टू दा वर्ल्ड का बरेली में हुआ अनावरण,कार्यक्रम में लातविया के राजदूत पहुंचे 

 

बरेली:  लातविया गणराज्य विश्व विख्यात मूर्तिकार की  कलाकृति मेडिक्स टू दा वर्ल्ड   को बरेली के फरीदपुर में लगाया गया है | यह मूर्ति बरेली से दुनियाभर के नर्सिंग से जुड़े लोगो के हौसला अफजाई  तो करेगी साथ ही हर हालात में  अपने कर्तव्य को निभाने के लिए भी प्रेरणा देगी | आज मूर्तिकार आईगेर्स बिकसे के द्वारा बनाई गई  मूर्ति का अनावरण लातविया  के राजदूत के द्वारा किया गया | इस  मौके पर लातविया के राजदूत का बरेली पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया | इस दौरान शहर के कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे | बता दे कि यह मूर्ति आईगेर्स बिकसे ने भारत के लिए उपहार स्वरुप दी  है | यह कलाकृति बरेली के फरीदपुर रोड़ स्थित एक दीपमाला  नर्सिंग  कॉलेज में  आज  लगाई गई है यह कलाकृति एक बड़े कार्गो की मदद से बरेली पहुंची है |  इस कलाकृति का वजन कई टन के आसपास बताया गया है साथ ही इसकी ऊंचाई  20 फीट के आसपास है | आज फरीदपुर क्षेत्र के  दीपमाला नर्सिंग कालेज में ये मूर्ति लगाई गई है  |

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वीडियो में खबर देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे 

https://youtu.be/rNIecxfNQbg

 

मूर्तिकार आइगेरस बिकसे  ने बताया कि  उन्होंने कोरोना काल  में इस कलाकृति को इस उद्देश्य से बनाया कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के समपर्ण एवं उनके कार्यो की हौसला अफजाई हो सके |  खासतौर पर महिला स्वास्थकर्मियों की | दुनिया को कोरोना योद्धाओं के महान त्याग के महत्व को समझाने के मकसद से इस मूर्ति को बरेली को स्थान्तरित किया है | यह नर्सिंग विद्यालय के छात्र छात्राओं के लिए हर किस्म की आपदा के लिए तैयार रहने की प्रेरणा देगा डॉक्टर सोमेश मेहरोत्रा ने आइगेरस बिकसे  की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा हो सकता है | लेकिन जब उनके सहायक से इस सम्बन्ध में बात हुई तो पता चला कि वह यह कलाकृति बिल्कुल निशुलक देना चाहते है |

 

उन्होंने यह भी कहा कि जून 2020 में जब पूरी दुनिया डरी हुई थी और पूरा यूरोप घरो में कैद था तब आईगेर्स बिकसे ने घर में कैद होने की बजाय इस कलाकृति को बनाया | उन्होंने यह भी बताया कि यह कलाकृति एक महिला डॉक्टर को देखकर बनाई गई थी जिसमें डॉक्टर के ख़ुशी के भाव दिखाई देते है उन्हें उम्मीद है यह कलाकृति बरेली के लिए एक नया लेंडमार्क साबित होगी | वही बिकसे ने यह भी कहा है कि लातविया की भाषा संस्कृत से मेल खाती है इससे उन्हें लगता है कि हमारे पूर्वजों का भारत के लोगों से खास रिश्ता रहा होगा | इसलिए उन्होंने अपनी कलाकृति भारत को निःशुलक दी है |

 

कलाकृति का आईगेर्स बिकसे  ने करा रखा कॉपीराइटजानकारी के मुताबिक आईगेर्स बिकसे  ने अपनी कलाकृति का कॉपीराइट रखा है | यह अपने आप में अनोखी मूर्ति है इसके साथ यह भी खास है लातविया गणराज्य में बनने के बाद भारी परेशानी के बाद भारत के एक छोटे से शहर बरेली में पहुंची है|  लातविया गणराज्य के राजदूत ने खुद बरेली आकर मेडिक्स टू दा वर्ल्ड  का अनावरण किया है |

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