ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा
बरेली । भाई बहन के बीच अपार स्नेह का पावन पर्व भैया दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया में मनाया जाता है। इस बार द्वितीया तिथि का मान 14 नवंबर को दोपहर 2:35 से ही शुरू हो जाएगा। जो 15 नवंबर को दोपहर 1:46 तक रहेगा। दरअसल, भैया दूज का त्यौहार उदयातिथि की प्रधानता के अनुसार ही मनाया जाता है। इसलिए यह पर्व 15 नवंबर बुधवार को धूमधाम उत्साह, उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
*भाई दूज पूजा विधि*
इस दिन बहनें पूजा की थाली सजाती हैं। अपने भाई को तिलक लगाती हैं और आरती करती हैं। थाली में फल, फूल, मिठाई, कुमकुम, चंदन, रोली, सुपारी आदि सामग्री रखी जाती है। चावल के आटे से चौक बनाकर वहां अपने भाई का बिठाएं। उसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर भाई का तिलक करें। माथे पर तिलक और चावल लगाएं। मिठाई खिलाएं। इसके बाद उसे फूल, सुपारी, काले चने, बताशे, सूखा नारियल आदि चीजें दें। फिर अंत में आरती करें। इसके बाद भाई अपनी बहनों को तोहफा देकर हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
*यह बरते सावधानियां*
– इस दिन आपस में लड़ाई-झगड़े ना करें। एक-दूसरे से झूठ ना बोलें।भाई जो भी तोहफा लाए उसे प्यार से स्वीकार करें। उस गिफ्ट का अपमान ना करें। तोहफे को लेकर भाई को बुरा-भला ना कहें, ऐसा करना अशुभ होता है। इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें ये भी अशुभ होता है।भाई दूज के दिन बहनें तिलक किए बिना कुछ खाने की भूल ना करें।तिलक करने के लिए गलत दिशा की तरफ मुंह करके ना बैठें। बहन पूर्व दिशा तो भाई उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके ही बैठें।
*भैया दूज के मुहूर्त*
लाभ, अमृत का चौघड़िया प्रातः 6:35 से 9:16 तक।
शुभ का चौघड़िया प्रातः 10:36 से मध्यान्ह 11:57 तक।
चर लाभ का चौघड़िया चौघड़िया मध्यान्ह 2:37 से शाम 5:18 तक।
नोट-मध्यान 11:57 से 1:17 तक राहुकाल व्याप्त रहेगा। इस दौरान बनाने से परहेज करें।