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सब पढ़े सब बड़े कैसे पूरा होगा सालेपुर गांव में सरकार का सपना

school

आकाश 

बरेली : भोजीपुरा थाना क्षेत्र  का सालेपुर गांव ऐसा गाँव है जहां आज भी एक विद्यालय नहीं है।  गांव के बाशिदों को विकास की दौड़ में अपने बच्चों के पिछड़ने का मलाल अंदर तक झकझोर रहा है।  ग्रामीणों की व्यथा उनके चेहरे साफ दिखाई देती है । एक तरफ सरकार तकदीर बदलने की कवायद कर रही है  यहां के बच्चों के लिए अब तक एक विद्यालय की व्यवस्था नहीं हो पाई है। यहां के बच्चे गांव में स्कूल नहीं होने के कारण सर्दी, गर्मी एवं बरसात के दिनों में पढ़ने के लिए डेढ से दो किलोमीटर दूरी तय करके पड़ोस के गांव में शिक्षा लेने जाते है | 

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गांव का सुनसान रोड़ भी ग्रामीणों की चिंता की एक वजह 
गाँव का मुख्य  रास्ता जंगल  से होकर गुजरता है जहां सवारी  नहीं चलती,जिससे विधालय में पढ़ने वाले बच्चों को हर समय खतरा बना  रहता है सुनसान रास्ते और दोनों तरफ जंगल होने की वजह से  लोग अपने बच्चों को गाँव से बाहर  नहीं भेजते , गाँव के कुछ लोग ही अपने वाहन से बच्चों को पास के गाँव में  स्कूल भेजते है |

ग्रामीण  प्रशासन से स्कूल बनवाने की कर चुके है मांग 
ग्रामीण आशिक अली ने बताया कि यहां  कभी स्कुल नहीं बना हमारे बच्चे बगल के दो किलोमीटर दूर गांव में पढ़ने जाते हैं। गाँव से निकलते ही खंडजा का  रोड है और जंगल है जिससे गुजरने से बराबर खतरे का अंदेशा बना रहता है जनप्रतिनिधियों से शिकायतों के  बाबजूद भी स्कुल नहीं बन पाया|  जनप्रतिनिधि आते है तो सिर्फ वोट मांगने, गाँव में सीसी रोड है या नहीं उन्हें कोई मतलब नहीं | वही एक अन्य ग्रामीण शौकात अली कहते हैं कि इस गांव के लिए सबसे बड़ी समस्या विद्यालय की है। ग्रामीणों द्वारा कई बार स्थानीय प्रशासन को आवेदन देकर गाँव में स्कूल बनाने की गुहार लगाई गई, परंतु अब तक इस दिशा में किसी ने पहल नहीं| ग्रामीण एजाज ने कहा कि  इस गाँव की स्थिति  बदहाल है न तो स्कुल है न ही रोड  ,तमाम शिकायतो  के बाबजूद हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई | 

समाजसेवी फैयाज अहमद ने बताया की सारी कमी हमारे जनप्रतिनिधियों की है तमाम वायदे करते है और वोट पढ़ने के बाद कभी पलट कर नहीं देखते | यहाँ के बच्चो का भविष्य अन्धकार में है गाँव में कोई स्कूल नहीं जिससे बच्चे अशिक्षित रह जाते है|  दूसरे गाँव में बच्चों को नहीं भेज सकते क्योंकि गाँव का खडंजानुमा रास्ता है और सुनसान भी अगर हम  बेटियों को बाहर  भेजते है तो डर रहता है कही  अप्रिय घटना नहीं हो जाये , रास्ते में कोई  जंगली जानवरबच्चों को खींच कर नहीं  ले जाए , वही कुछ हो जाता तो  जिम्मेदार कौन होगा ? इस गांव की बदकिस्मती है की यह गाँव दो विकासखंडो में बटा  है आधा गाँव नवाबगंज  में आता और आधा भोजीपुरा विकासखंड  में आता है न तो यहाँ पर ग्रामपंचायत रूपपुर का प्रधान सफाई कर्मचारी नहीं भेजता| 

एवीएसए ने कहा मानक पूरे हुए तो विद्यालय बनाने की करेंगे मांग 

एवीएसए भोजीपुरा सुरेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया की मामला संज्ञान में आया है प्राथिमक विद्यालय का मानक होता है अगर यह गाँव आबादी और डिस्टेंस को पूरा नहीं करता है तो उस में विद्यालय नहीं  होता है  वहा के बच्चे पड़ोस के गाँव के स्कुल में जाते है विद्यालय के लिए गाँव की आबादी 300 होनी चाहिए और दूसरा स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में नहीं होना चाहिए इस गाँव के मानको  को चेक किया जाएगा और हमारी तरफ से एक प्रपोजल भेजा जाएगा | 

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