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शास्त्रोक्त उपाय- गंभीर से गंभीर रोगों का करे निवारण

शास्त्रोक्त उपाय- गंभीर से गंभीर रोगों का करे निवारण
ज्योतिषाचार्य- आचार्य मुकेश मिश्रा

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बरेली।पहला सुख जब सुन्दर काया अर्थात शरीर के स्वस्थ्य होने पर ही प्रथम सुख की अनुभूति होती है। शारीरिक सुख से बड़ा दुनिया में कोई सुख नहीं है। एक कहावत है कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन और जैसा रहेगा मन, वैसा रहेगा तन। अतः स्वस्थ्य शरीर के लिए पौष्टिक भोजन आवश्यक है। अगर व्यक्ति शरीर से कमजोर है या रोग से पीड़ित है तो चलिए हम आपको बताते है कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से रोग शीघ्र ठीक हो सकता है।

*स्वस्थ रहने के लिए कीजिए ये उपाय*

एक तांबे का सिक्का रात को सिरहाने रखकर सो जाएं। प्रातःकाल इसे शमशान की सीमा में फेंक आयें। ऐसा करने से रोग ठीक हो जाता है।
यदि परिवार में कोई सदस्य भयंकर रोग से पीड़ित हो और दवाओं से कोई लाभ न मिल पा रहा हो तो चाॅदी के पात्र में केशर युक्त जल भरकर सिरहाने रखें। सुबह पीपल या तुलसी में चढ़ा देने से रोग कटता है।
तुलसी की माला शुभ योग में धारण करके रोग नाश किए जा सकते है।
अगर परिवार में कोई बीमार है तथा लगातार दवा-दारू के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है तो रविवार से शुरू कर लगातार तीन दिन गूेहॅू के आटे का पेडा बनाकर तथा एक लोटा पानी बीमार व्यक्ति के सिर पर से तीन बार उबारकर जल किसी पेड़ में तथा गेंहूॅ के पेड़ा गाय को खिला दें। तीन दिन में स्वास्थ्य लाभ होगा। ध्यान रखें कि यह प्रयोग तीन दिन चलना चाहिए भले ही रोगी पहले ही ठीक क्यों न हो जाए।

*कीजिए इन मंत्रों का जाप*
अगर रोग गंभीर और लम्बा हो तो रोगी के वनज के बराबर सभी खाद्य सामग्री घी, तेल सहित तौलकर ब्रहाम्ण या किसी गरीब गृहस्थ को दें दे। तुलादान करने से बीमारी दूर होकर रोगी को जीवनदान मिलता है।
घर से बीमारी जाने का नाम ले रही हो, तो एक गोमती चक्र लेकर हांडी में रखकर रोगी के पलंग के पाए पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। जिस दिन से प्रयोग शुरू हो जाता है।
किसी ग्रहण काल में निम्न मन्त्र को जपकर अपने अनुकल कर लें। इसके बाद जब भी आवश्यकता हो, एक काॅसे की कटोरी में जलभर इस मन्त्र को सात बार पढ़ करके जल में फॅूक मारें और रोगी को पिला दें। भगवान श्री राम की कृपा से सभी रोगादि का अन्त हो जायेगा।
*दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम काज नहिं काहुहि ब्यापा।।*

इस मंत्र की कम से कम एक माला रोज करें
*सोई जल अनल संघाता। होई जलद जग जीवन दाता।।*

मंत्र की कम से कम एक माला रोज करें नब्बे दिन करें। उसके बाद जब भी आवश्यकता हो, कांसे की कटोरी में जलभरकर इस मन्त्र की एक माला पढ़कर जल अभिमन्त्रित करें और रोगी को पिला देने से रोग ठीक हो जाता है।
अगर रोगी बहुत दिनों से बीमार चल रहा है तो सर्वप्रथम शिवरात्रि के अवसर पर निम्न ‘‘ *त्रिविध दोष दुःख दारिद दावन। कलि कुचालि कलि कलुष नसावन।*
मन्त्र को एक लाख बार जप कर सिद्ध कर लें। उसके बाद एक काॅसे की कटोरी में जल भरकर अभिमंत्रित करें और रोगी को पिला देने से रोगी शीघ्र ठीक हो जायेगा।

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