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आज देव दीपावली एवं कार्तिक पूर्णिमा पर रहेगा चंद्रग्रहण का साया,

-उदयातिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत स्नान आज

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– महाभारत के समय के बाद अब बनी ऐसी स्थिति, 15 दिन में लगा सूर्य और चंद्र ग्रहण,

 

आचार्य मुकेश मिश्रा,

इस बार देव दीपावली आठ नवंबर मंगलवार को मनाई जाएगी। उदयातिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और स्नान भी आठ नवंबर को मान्य होगा, लेकिन इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगा रहेगा। पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। जबकि देश के बाकी हिस्सों में लोगों को ग्रहण का आंशिक चरण ही नजर आएगा। महाभारत के समय के बाद अब ऐसी स्थिति बनी है कि 15 दिनों में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों नजर आ रहे हैं।मनुष्य हर्षोल्लास के साथ कार्तिक अमावस्या में दीपावली का त्योहार मनाते हैं। जबकि देवता इस माह की पूर्णिमा को दीपावली का उत्सव मनाते हैं। जिसे देव दीपावली कहते हैं। इस दिन पड़ रहे चंद्र ग्रहण का पूरी दुनिया में व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

 

 

 

भारतीय समय के अनुसार दुनिया में चंद्र ग्रहण की शुरुआत आठ नवंबर को दोपहर में 2:39 पर हो जाएगी। भारत में ग्रहण चंद्रोदय के समय से ही दिखाई देगा। भारत में चंद्रग्रहण की शुरुआत शाम 5:29 होगी और शाम को 6:19 बजे ग्रहण समाप्त हो जाएगा। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण काल का सूतक नौ घंटे पूर्व से लग जाता है। इसलिए प्रातः 8:29 से सूतक प्रारंभ हो जाएगा। इस समय के बाद मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। शाम ग्रहण मोक्ष पर ही मंदिरों के कपाट और पूजा-पाठ प्रारंभ होंगे।

 

स्नान दान से सौ अश्वमेध यज्ञ के बराबर मिलता है फल
देव दीपावली का महत्व इसलिए ज्यादा है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था‌। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं और इसी उपलक्ष में इस दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री हरि विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। यही कारण है कि हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अधिक महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान, पूजा और व्रत का महत्व कई गुना अधिक माना जाता है। मान्यता है कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए स्नान-दान, पुण्य से भगवान विष्णु की कृपा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए स्नान दान से सौ अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
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आठ नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का रहेगा महत्व
कार्तिक पूर्णिमा सात नवंबर को शाम 04:15 से शुरू हो जाएगी। जो आठ नवंबर शाम 04:31 तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर आठ नवंबर को सूर्योदय से पूर्व और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का महत्व रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:57 से सुबह 05:49 तक रहेगा। इसके बाद प्रातः8:29 सूतक काल से पहले स्नान-दान कर सकते हैं।
तीर्थों के जल में स्न्नान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा या यमुना नदी में कुशा स्नान का बहुत महत्व है। इस दिन हाथ में कुशा लेकर नदी में स्नान करके दान भी करना चाहिए। ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सौभाग्य का आगमन होता हैं। स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व तारों की छांव में माना गया है। यदि आप गंगा स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें।

 

ग्रहण के बाद सांयकाल में करें दीपदान
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इसलिए इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब,मंदिर एवं खुले आकाश के नीचे दीप अवश्य जलाएं। ऐसा करने से आपको पुण्य फलों की प्राप्ति होगी। इस दिन यदि आप तुलसी के पास दीपक जलाकर उसकी जड़ की मिट्टी का तिलक लगाएं, तो आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त हो सकती हैं।
इस पूर्णिमा पर होता है दान का विशेष महत्व
सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करें। इस दिन ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें। शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध,चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आप पर चंद्रमा की सदैव कृपा बनी रहती है।लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल में थोड़ा कच्चा दूध मिलाकर अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी और विष्णुजी का वास माना जाता है।

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