डायलिसिस के लिए जिला अस्पताल मुफ़ीद जगह
करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद बरेली में बनी डायलिसिस यूनिट ,
बरेली : जिला अस्पताल का डायलिसिस यूनिट गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त मरीजों की जिंदगी में उम्मीद के रंग भर रहा है। आमतौर पर डायलिसिस को महंगे इलाज के रूप में जाना जाता है। एक मरीज के एक साल के इलाज में लगभग 2 लाख से 2.5 लाख रूपए के आसपास खर्च आता है। लेकिन बरेली का जिला अस्पताल में डायलिसिस के मरीजों को आधुनिक तकनीक पर आधारित नि:शुल्क इलाज दे रहा है।
यह डायलिसिस यूनिट इस लिहाज से भी खास है यहां ट्रेनेड स्टाफ द्वारा फ्री इलाज किया जाता है। इस यूनिट अपनी स्थापना के चार साल में 319 मरीजों की जिंदगी को बचाने का ना केवल प्रयास किया बल्कि मरीजों में लाइलाज बीमारी से लड़ने का हौसला भी दिया है। जानकार यह भी बताते है कि एक निजी क्षेत्र के अस्पताल में एक डायलिसिस कराने में 2 से 3 हजार के बीच आता है , कभी यह खर्च 5 आसपास के पास भी पहुंच जाता है। और सप्ताह में एक मरीज की 3 बार तक डायलिसिस होती है।
इस बीमारी के मरीजों के जीवन को लगातार इलाज मिलने पर 10 से 15 साल तक बचाया जा सकता है। हालांकि गुर्दे ट्रांसप्लांट कराने पर यह नहीं कहा जा सकता है कि मरीज का जीवन बचा रहेगा। यूपी सरकार ने बनारस की हेरिटेज नाम की कंपनी से पीपीपी प्रोजेक्ट के तहत डील की हुई है, जिसके तहत सरकार कंपनी को प्रत्येक डायलिसिस होने पर 15 सौ से 2 हजार का भुगतान करती है।
“एक डायलिसिस यूनिट लगाने में करोड़ों का खर्च आता है। बरेली मंडल में हाल में सुविधा बरेली के साथ बरेली में है। पर सुविधा के लिहाज से बरेली अन्य जगहों से बेहतर है। बरेली में सरकार और हेरिटेज के संयुक्त प्रयास से वर्ष 2019 में डायलिसिस यूनिट लगाई गई थी। यहां एक अनुबंध के तहत जर्मनी कंपनी के मशीन लगे हुए है जो किडनी की तरह ही काम करते है। अब तक बरेली की डायलिसिस यूनिट मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। यहाँ डायलिसिस देकर काफी मरीजों की जिंदगी बचाई गई है। अब चाहते है कि मरीज डायलिसिस के जिला अस्पताल पहुंचे यहां एक्सपर्ट स्टाफ के साथ आधुनिक तकनीक के साथ निशुल्क किया जाता है।”
डॉक्टर अम्बुज सक्सेना,