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इतिहास के झरोखे से : कबूतरबाजी नवाबी दौर का शौक, लेकिन रामपुर में आज भी जिंदा,

मुजस्सिम खान

उत्तर प्रदेश का जनपद रामपुर एक नवाबी शहर है यही कारण है कि यहां के बाशिंदों के शौक भी निराले हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं नवाबों की सरपंती में शुरू की गई कबूतर उड़ान से जुड़ी उन प्रतियोगिताओं की जो आज भी यहां पर जारी हैं। इन प्रतियोगिताओं में बाजी करने वाले कबूतरों के मालिकों को भेट स्वरूप पुरस्कार दिए जाते हैं। चंद रोज पहले भी यहां के शौकीन मिजाज लोगों के द्वारा एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था इसके बाद विजय टीम को पुरस्कृत भी किया गया है।

 

 

ब्रिटिश शासन काल के दौरान सितंबर 1774 ईस्वी में रामपुर रियासत अस्तित्व में आई थी यहां पर नवाब फैजुल्ला खान से लेकर नवाब रजा अली खान तक कुल 10 नवाबों ने शासन किया है इन सभी नवाबों के दौर में कुछ ना कुछ अलग ही हुआ है जो आज भी कायम है। फिलहाल हम बात कर रहे हैं कबूतर उड़ान से जुड़ी प्रतियोगिताओं की जो तब से लेकर आज भी जारी हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कबूतर संचार का एक बेहतरीन माध्यम था और जिसके जरिए पत्रों का आदान-प्रदान किया जाता था।

 

 

1938 से लेकर 1944 तक चले इस द्वितीय विश्व युद्ध मैं कबूतर के जरिए संदेश पहुंचने का सिलसिला जारी रहा जिस समय विश्व युद्ध चल रहा था उस दौरान रामपुर में 10 वें शासक नवाब रजा अली खान का शासन था। तभी यहां पर कबूतर बाजी का चलन शुरू हुआ और प्रतियोगिताएं आरंभ हुई। हालांकि यह बात अलग है समय-समय पर नवाब हामिद अली खान के वक्त में भी इस तरह की प्रतियोगिताएं हुआ करती थी। रामपुर के इतिहास में इन प्रतियोगिताओं का जिक्र मिलता है कई दशक भी जाने के बाद भी आज भी यह प्रचलन में है।

 

 

रामपुर नवाबों का शहर है इसलिए यहां के लोगों के शौक भी नवाबों से कम नहीं है। लिहाजा नवाबी दौर में शुरू हुई यह कबूतर बाजी की प्रतियोगिताएं आज भी जारी हैं। चंद रोज पहले भी इसी तरह की एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कई लोगों के कबूतरों ने हिस्सा लिया और उड़ान में बाजी करने वाले कबूतरों के मालिक खान को पुरस्कारों से नवाजा गया है।

स्थानीय निवासी मतलब खान कबूतर पालने की शौकीन है लिहाजा बड़ी संख्या में उनके द्वारा पाल गए कबूतरों को दाना पानी दिया जाता है और फिर हर तरीके से इनका ख्याल रखा जाता है। उनका कहना है कि उनको अपने कबूतर देखने के बाद काफी राहत और सुकून महसूस होता है बरसों से ही सिलसिला जारी है वह लगातार कबूतरों को कई देशों से पालते चले आ रहे हैं। इसी प्रकार प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाले कबूतरों के मालिक परवेज मलिक का कहना है कि यह शौक काफी पुराना है और प्रतियोगिता में उनके कबूतर ने बाजी मारी है और एक रिकॉर्ड भी बनाया है जिसे आसानी से तोड़ना मुश्किल है। इसी तरह प्रतियोगिता के आयोजन इमरान खान भी भी काफी खुश नजर आए और उन्होंने भी कबूतर उड़ान की जमकर तारीफ की है।

 

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