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आंवला की जनता विकास के नाम ही करेगी मतदान , उम्मीदवार बना ले अपना प्लान

अरविंद पेंटर ,

बरेली। आंवला लोकसभा क्षेत्र में विकास की तमाम संभावना हैं इसके बावजूद यहाँ उतना विकास कार्य नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। यहां के तमाम गांव आज भी विकास से अछूते है। क्षेत्र में कई गांव ऐसे है जहां सड़के बहुत ही जर्जर हालत में है। उच्च शिक्षा के नाम पर आँवला में नाम के लिए एक सरकारी डिग्री कॉलेज है।वो भी तमाम पाठ्यक्रमों से अछूता है इसलिए छात्रों को मनमाफिक डिग्री या कोर्सेज प्राप्ति एवं पढ़ने के लिए अपने घर से 40 से 50 किलोमीटर की दूरी तय करके बरेली शहर जाना पड़ता हैं। newsvox  संवाददाता ने जनता से आंवला लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे पर बात की ।


स्थानीय उम्मीदवार जनता की पहली प्राथमिकता 

 

 

अभिलाष कुमार ने बताया कि हमारी लोकसभा से किसी बाहरी को जिताकर संसद में भेजना नहीं चाहते है जो आँवला में विकास न करे सके। यहां पूर्व में बाहरी जीतते रहे हैं पर उन्होंने आँवला के लिए कुछ भी ऐसा नहीं किया है जिससे आँवला क्षेत्र की शिक्षा स्वास्थ्य और विकास की स्थिति सुधर सके, एवं बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। चेतन प्रकाश आर्य ने बताया कि आँवला में बेरोजगारी का यह आलम हैकि यहाँ रहने वाला शिक्षित युवा या तो खेती मजदूरी करे या फिर अपना घर छोड़कर शहर में जाकर प्राईवेट मजदूरी करने के सिबाय कुछ नहीं है, क्षेत्र में एक दो फैक्ट्री लगी हुई है वहां सीमित संख्या लोगों को ही रोजगार मिला हुआ है। आंवला से जीते तो कई नेता हैं,पर सबका ठिकाना आंवला न होकर बरेली होता है या फिर उनका ग्रह जनपद होता है।

 

 

 

सरवर खान ने बताया कि आंवला में हर पांच साल बाद नेता चुनाव के दौरान वोट मांगने आ जाते है फिर दोबारा आकर जनता का हाल तक नहीं पूछते है। इस बार हम वोट उसी को देंगे जो स्थानीय होगा और जिसका जनसंपर्क लगातार क्षेत्र से बना रहता है।राधेश्याम मौर्य ने बताया आंवला एक ऐतिहासिक क्षेत्र है पूर्व में आँवला रूहेलखण्ड की राजधानी रह चुका है लेकिन आज रोजगार के नाम पर यहां युवाओं के लिए कुछ भी नहीं है।पढ़ा लिखा युवा नौजबान यहां रोजगार के नाम पर अपने परिवार का भरन पोषण के लिए ई रिक्शा तक चलाने को मजबूर है। आँवला से चुनाव जीतने के बाद नेताओं का तो विकास हुआ पर आँवला क्षेत्र का नही। इस बार उसी नेता को वोट देने का मन है जो आँवला क्षेत्र विकास कार्य कराने की गारंटी लेगा।

 

 

 

ठाकुर वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि यहाँ साँसद बाहरी भी चलेगा लेकिन उसे चुनाव जीत जाने के बाद लोकल आंवला में अपना आशियाना बनाये जिससे वह जनता के बीच हर समय सुख दुख में शामिल रहे और स्थानीय स्तर पर जनता की मूलभूत सुविधाओं को पूर्ण करे, ऐसा न हो कि पूर्व में राजनीति का बड़ा चेहरा जो कि अन्य जनपद से आकर आँवला का साँसद बनी लेकिन उन्होंने जितने के बाद आँवला में पलटकर नही देखा। इस बार वोट करेंगे पर शर्त यह है वह हमारे क्षेत्र के विकास के साथ हमारे बच्चों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दें । इस बार झूठे वादे करने वालों से पूरी दूरी बनाने का मन है।

 

 

 

आंवला से यह बने सांसद

आंवला लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर 1962 में हिंदू महासभा के टिकट पर बृज राज सिंह सांसद बने। 1967 के साथ 1967 मे भी इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर सावित्री श्याम सांसद बनी ,1977 में बृजराज सिंह जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने , 1980 में जयपाल सिंह कश्यप जनता पार्टी सेक्यूलर से सांसद बने। 1984 में कल्याण सिंह सोलंकी कांग्रेस से सांसद बने। 1989 में राजवीर सिंह सांसद बने , 1991 में भी राजवीर सिंह सिंह को जनता ने अपना सांसद बनाया, 1996 में सर्वराज सिंह सपा से सांसद बने, 1999 में सर्वराज सिंह सांसद बने फिर 2004 में सर्वराज सिंह जनता दल यूनाइटेड से सांसद बने, 2009 में मेनका गांधी भाजपा के टिकट पर सांसद बनी ,2009 में धर्मेंद्र कश्यप भाजपा के टिकट पर सांसद बने , 2019 में भी धर्मेंद्र कश्यप ने भाजपा के टिकट पर सांसद बने।

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