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बरेली में कृषि मंत्री का दावा : किसानों की आय दुगुनी नहीं बल्कि 10 गुनी हुई :  नरेंद्र सिंह तोमर 

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बरेली : पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के क्षेत्र में  एशिया में प्रमुख स्थान रखने वाला वाला बरेली का आईवीआरआई संस्थान  ने आज अपना 10 वां दीक्षांत समारोह  मनाया ।  इस मौके पर   349 छात्रों को उपाधियां एवं 48 छात्रों को पुरस्कार प्रदान किये गये।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शिरकत की । दीक्षांत समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पशुपालन  कृषि  की रीड है,उत्पादन बढ़ाने, मास निर्यात और रोज़गार के अवसर में बढ़ोत्तरी के लिए भी पशुपालन आवश्यक है. उन्होंने  यह भी कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हमारे पशु निरोग रहे और उन्हें निरोग रखने की ज़िम्मेदारी आईवीआरआई से डिग्री हासिल करने वाले छात्रों की है वह यंहा से निकल कर देश के लिए काम करें।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
वही केंद्रीय मंत्री  श्री तोमर ने कहा कि एमएसपी पर हमने किसानों से जो वादा किया था उसे हम पूरा कर रहे है  एमएसपी पर कमेटी बन गयी है और उसे प्रभावी बनाने पर काम चल रहा है उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में  किसानों की आय दोगुनी नहीं बल्कि दसगुनी हुई है।  इस बात के लिए वह साक्ष्य भी दे सकते है। कार्यक्रम में  पहुंचे कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी नें कहा कि  कहा कि डिग्री पाने के बाद युवाओ नौकरी  की तरफ न भागें, अपने ज्ञान और अनुसंधान के बल पर स्वरोज़गार से जुड़ें। केंद्रीय मंत्री ने आई वी आर आई की ऑनलाइन पाली क्लीनिक का उद्घाटन किया इसके साथ कई वैक्सीन भी जनता को समर्पित की। वही आयोजित कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार,उप महा निदेशक  भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी  के  साथ  संस्थान के निदेशक त्रिवेणी दत्त मौजूद रहे।
संस्थान के बारे में यह भी जाने ,

IVRI  अपने अस्तित्व से पशुधन रोगों की रोकथाम के लिए कर रहा काम :
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।  यह वर्ष  1889 में अस्तित्व में आया।  आईवीआरआई ने अपने  133 से  अधिक वर्षों की घटनापूर्ण यात्रा में, संस्थान वैज्ञानिक विकास के लिए एक पथ प्रदर्शक रहा है।  संस्थान ने पशु चिकित्सा के साथ पशु विज्ञान के  क्षेत्र  में शानदार काम किया है ।  संस्थान ने देश से महत्वपूर्ण पशुधन रोगों (रिंडरपेस्ट, सीबीपीपी, डौराइन, अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस) के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।   किसानों और पशुधन मालिकों की समस्याओं को हल करने पर केंद्रित निरंतर अनुसंधान प्रयासों के कारण, संस्थान के पास एक समृद्ध आईपीआर पोर्टफोलियो है जिसमें 29 पेटेंट, 18 डिजाइन, 41 कॉपीराइट शामिल हैं और इसने 141 से अधिक वाणिज्यिक घरानों के लिए 38 प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण किया है।

आईवीआर 17 विषयों पर कराता है पीएचडी 
संस्थान ने 1900 से अधिक पशु चिकित्सकों, सिविल और सैन्य कर्मियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण देना शुरू किया। स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम आगरा और रोहिलखंड विश्वविद्यालयों के तत्वावधान में वर्ष 1958 में शुरू किए गए थे।  इसके बाद   संस्थान को 16 नवंबर 1983 को यूजीसी द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।  वर्तमान में संस्थान एमवीएससी और पशु चिकित्सा विज्ञान के 17 विषयों में पीएचडी के अलावा पशु चिकित्सा विज्ञान (बीवीएससी और एएच) में स्नातक और 10 विषयों में राष्ट्रीय डिप्लोमा प्रदान करता है।

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