बरेली। दरगाह आला हज़रत पर आज ताजुश्शरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा क़ादरी अज़हरी मियां का सातवां उर्स-ए-पाक बड़े अदब और अकीदत के साथ मनाया गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की सरपरस्ती में हुए कुल शरीफ में लाखों ज़ायरीन ने शिरकत की।
सुबह रज़ा मस्जिद में कुरानख्वानी और दिन में हम्द-ओ-नात का सिलसिला चला। देशभर के उलेमा ने ताजुश्शरिया की इल्मी और मज़हबी खिदमात को याद करते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश किया।
मुफ्ती अय्यूब नूरी ने कहा कि ताजुश्शरिया अपने दौर की सबसे बुलंद हक की आवाज थे और बचपन से ही ज़हीन और फक़ीह थे। मौलाना बशीर क़ादरी ने उन्हें मसलक-ए-आला हज़रत का सच्चा सिपाही बताया। मुफ्ती मुजीब रज़वी ने बताया कि उन्हें 40 से ज्यादा इल्मी विषयों में महारत हासिल थी। मुफ्ती सद्दाम मंज़री ने कहा कि ताजुश्शरिया जैसा आलिम आज के दौर में दुर्लभ है।
महफिल के समापन पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने पर्दे की अहमियत, बच्चों की तालीम और दहेज से बचने का संदेश देते हुए कहा कि समाज को शरीयत के दायरे में रहकर ही तरक्की करनी चाहिए।
शाम को कुल शरीफ और फातिहा के बाद देश-दुनिया में अमन, खुशहाली और मज़हबी एकता के लिए ख़ास दुआ की गई।उर्स की पूरी व्यवस्था नासिर कुरैशी, शाहिद नूरी, हाजी जावेद खान समेत दरगाह से जुड़े तमाम जिम्मेदारों ने संभाली।
