“सीखने की कोई उम्र नहीं होती” — सुखदेव महाराज ने M.A. इंग्लिश की परीक्षा देकर कहावत को कर दिखाया सच

SHARE:

अनुज कुमार सक्सेना

Advertisement

बरेली। कहते हैं — “जहां चाह, वहां राह!” और इस कहावत को सच्चा कर दिखाया है बरेली के योगी और धार्मिक गुरु सुखदेव सिंह महाराज ने। उम्र भले ही 55  पार हो गई हो, लेकिन उनके जज़्बे और पढ़ाई के प्रति लगन ने साबित कर दिया कि अगर दिल जवान हो, तो किताबें भी दोस्त बन जाती हैं।

18 साल तक अज्ञातवास में रहने की वजह से पढ़ाई अधूरी रह गई थी। लेकिन जैसे ही समय मिला, उन्होंने पुराने ख्वाब को फिर से जगाया — और पहुंच गए M.A. इंग्लिश की परीक्षा देने।

 

परीक्षा केंद्र का नज़ारा ही कुछ और था। भगवा वस्त्र, शांत चेहरा और हाथ में कलम — जैसे साधु-संत नहीं, ज्ञान की परीक्षा देने निकले योद्धा! परीक्षार्थियों ने हँसते हुए पूछा —“महाराज जी, शेक्सपियर पास होगा या वर्ड्सवर्थ?”महाराज जी बोले —
“हम तो फर्स्ट क्लास से पास होंगे, तुम्हें भी आशीर्वाद देते हैं।”

उनकी यह बात सुनकर सबके चेहरे खिल गए। परीक्षा के बाद जब उनसे बात की गई, तो उन्होंने कहा,“शिक्षा कोई उम्र नहीं देखती। बेटियों को पढ़ाना सबसे बड़ा धर्म है। जब लड़की पढ़ती है, तो पूरा परिवार आगे बढ़ता है।”अब सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “एजुकेशन बाबा” कहकर सम्मान दे रहे हैं।

इस पूरे किस्से में एक बड़ी सीख छुपी है —
“किसी उम्र में उंगलियां भी कलम चला सकती हैं, बस जज़्बा होना चाहिए।”
और जैसा कहा जाता है — “सीखना बंद, तो बढ़ना बंद!”

सुखदेव महाराज ने साबित कर दिया —
ज्ञान का दीपक जब तक जलता है, अंधकार पास नहीं फटकता।

newsvoxindia
Author: newsvoxindia

Leave a Comment

error: Content is protected !!