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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के बारे में मैक्स अस्पताल ने फैलाई जनजागरूकता ,कहा लक्षण देखते डॉक्टर से करें संपर्क,

बरेली : मैक्स इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर केयर वैशाली (गाजियाबाद) ने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलोजिकल (जीआई) सर्जरी के क्षेत्र में हुई तरक्की के बारे में जानकारी दी. तकनीक के फायदे बताने के लिए जीआई कैंसर से पीड़ित रहे बरेली के कुछ मरीजों के बारे में बताया गया कि कैसे उनका मैक्स टीम ने सफल इलाज किया.

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मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में जीआई एंड एचपीबी सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर विवेक मंगला इस मौके पर मौजूद रहे. साथ ही बरेली की 32 वर्षीय आरती, 65 वर्षीय सीमा और 29 वर्षीय अनिता भी यहां मौजूद रहीं. डॉक्टर विवेक ने इन मरीजों का उदाहरण देते हुए समय पर रोग के डायग्नोज होने और लेप्रोस्कोपिक जैसे एडवांस इलाज मेथड्स के फायदों के बारे में बताया.

 

इन मामलों के बारे में जानकारी देते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में जीआई एंड एचपीबी सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर विवेक मंगला ने कहा, ”32 वर्षीय आरती देवी को मलाशय में ब्लीडिंग, शौच के वक्त दर्द की शिकायत थी और उनका वजन घट रहा था. टेस्ट के बाद मलाशय के कैंसर का पता चला. ट्यूमर बोर्ड में इस मामले पर चर्चा की गई और उसके बाद कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी दी गई. जिसके बाद उनकी सर्जरी की गई. मरीज की रेक्टल कैंसर हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई. इस तकनीक की मदद से ट्यूमर पूरी तरह से हटा दिया जाता है.”

 

सर्जरी के बाद मरीज की कंडीशन सही रही और अच्छे रिजल्ट के साथ उन्हें छुट्टी दे दी गई. जो आखिरी बायोप्सी की गई उसमें ट्यूमर रहित लिम्फ नोड नजर आई. ये रिजल्ट काफी सुकून देने वाला था. इस मामले की सफलता ये दिखाती है कि एडवांस तकनीक की मदद से सर्जरी के रिजल्ट काफी अच्छे आते हैं.

 

 

आरती देवी के अलावा 65 वर्षीय सीमा के केस पर भी यहां चर्चा हुई. सीमा हेमाट्यूरिया से ग्रसित थीं. जब और जांच कराई गईं तो बाएं गुर्दे में ट्यूमर का पता चला. ये ट्यूमर शरीर में मुख्य बड़ी नस में फैला हुआ था, जो पेट और पैरों से हार्ट तक रक्त सप्लाई करती है (जिसे आईवीसी कहा जाता है). इस मुश्किल चुनौती से निपटने के लिए विशेषज्ञता और कुशलता की आवश्यकता थी. मरीज की सर्जरी की गई, जिसमें किडनी कैंसर के लिए रेडिकल सर्जरी और नस से ट्यूमर को निकालना शामिल था. यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट और जीआई ऑन्कोसर्जरी की कुशल टीम ने सर्जरी को अंजाम दिया और शानदार रिजल्ट आए. मरीज की रिकवरी आसानी से हुई और एक महीने बाद उनका स्वास्थ्य बेहतर हो गया.

 

तीसरा केस 29 वर्षीय अनीता का था. अनीता को किडनी में ब्लीडिंग, पेरिअनल दर्द की शिकायत थी और वजन भी घटा हुआ था. जांच में मलाशय के कैंसर का पता चला. मरीज को शुरू में कीमोथेरेपी दी गई और फिर कीमो-रेडियोथेरेपी दी गई. टेल बोन को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक एब्डोमिनल पेरिनियल रिसेक्शन (एपीआर) किया गया, जिससे कैंसर को पूरी तरह से हटा दिया गया और मरीज ने अच्छे तरीके से रिकवरी की.

 

 

इन मामलों की जानकारी देने के साथ ही डॉक्टर विवेक ने आगे कहा, ”ये असाधारण मामले मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, वैशाली में समय पर डायग्नोज, एडवांस इलाज और टीमों की विशेषज्ञता के महत्व को दर्शाते हैं. ये उपलब्धियां गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजिकल सर्जरी के क्षेत्र में मील का पत्थर हैं. साथ ही मरीजों के लिए हाई क्वालिटी इलाज और केयर की हमारी प्रतिबद्धता भी इससे पता चलती है.

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