पंकज गुप्ता
बदायूं । दशहरा पर देश भर में जहां एक ओर रावण का पुतला दहन किया जाता है वहीं बदायूं शहर के मोहल्ला साहूकारा के एक मंदिर में स्थापित शिवभक्त रावण की प्रतिमा की पूजा भी की जाती है। मंदिर को ‘रावण का मंदिर’ नाम से ही जाना जाता है। इस मंदिर की ऐसी मानता है कि अगर कोई रावण की पूजा करें तो जिन लोगों की शादी नहीं होती तो उनकी शादी हो जाती है साथ ही मांगी गई मन्नत भी पूरी हो जाती है। यहां पर बहुत ही दूर दूर से लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं।
बताया जाता है कि बदायूं शहर के मोहल्ला साहूकारा में यह मंदिर सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। मंदिर में रावण के अलावा शिव दरबार, भगवान विष्णु, हनुमान जी, माता काली और माता दुर्गा की प्रतिमाओं के अलावा शिवलिंग भी स्थापित है।
दशहरा पर हर साल मंदिर में प्रकांड विद्वान और शिवभक्त होने के नाते रावण की पूरे विधिविधान के साथ पूजा होती है। मंदिर की देखभाल रविंद्र शर्मा और उनकी पत्नी रश्मि शर्मा करते हैं। उनका कहना है कि रावण शिव भक्त था। मंदिर रावण का नहीं है बल्कि यहां रावण की प्रतिमा शिवलिंग के पास स्थापित है। दशहरा पर काफी लोग रावण की विद्वता और शिवभक्त होने के कारण पूजा करने आते हैं। मंदिर में रावण के अवगुणों की नहीं बल्कि सद्गुणों की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि मंदिर के कपाट प्रतिदिन समय से खुलते हैं। अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने लोग रोजाना पहुंचते हैं, लेकिन दशहरा के दिन काफी संख्या में लोग रावण की पूजा करने आते हैं।
इस मंदिर की ऐसी मानता है कि अगर कोई रावण की पूजा करें तो जिन लोगों की शादी नहीं होती तो उनकी शादी हो जाती है और जो मन्नत मांगी वह मन्नत उनकी पूरी हो जाती है। और उनकी शादी हो जाती है यहां पर बहुत ही दूर दूर से लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं।वही एक शिभक्त ने बताया कि रावण के मन्दिर में आने से शांति मिलती है। वह यहां अक्सर आता है लेकिन दशहरे के दिन हर वर्ष जरूर आता है।
