बरेली : लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही ईवीएम को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं , इस क्रम में सोमवार को आप पार्टी ईवीएम को हटाने मांग को लेकर सेठ दामोदर दास पार्क में प्रदर्शन किया। बरेली पैनी नजर सामाजिक संस्था के अध्यक्षता एवं आप पार्टी की नेता सुनीता गंगवार की अगुवाई में बरेली की कई अन्य सामाजिक संस्थाओं ने सामूहिक रूप से ईवीएम मशीन को बैन करने के संबंध में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को संबोधित एक ज्ञापन बरेली जिलाधिकारी को सौंपा। संस्था अध्यक्ष एडवोकेट सुनीता गंगवार ने कहा की 2014 से लगातार चुनाव में गड़बड़ियां पाई जा रही हैं। इसके सबूत लगातार विपक्षी पार्टियों भी दे रही हैं। देश के अधिवक्ता दे रहे हैं। जनता दे रही है ,उसके बावजूद भी बीजेपी सरकार चुनाव आयोग ईवीएम मशीन से चुनाव कराने के लिए क्यों अड़ा हुआ है इससे साफ जाहिर होता है की ईवीएम मशीन से सरकार चुनाव जीत रही है जो सरकार जन विरोधी कानून को लाती हो ,जन विरोधी कानून लागू करती हो जनता के हित में काम न कर रही हो. लगातार देश में बड़े-बड़े धरने प्रदर्शन सरकार के खिलाफ हो रहे हैं उस आवाज को सरकार अपनी सत्ता की पावर से दबा रही है।
जब अत्याचार की हद पार हो चुकी है तो अब गांव-गांव आवाज उठने लगी है कि ईवीएम मशीन से चुनाव नहीं होना चाहिए जिसको लेकर यह सरकार के लिए एक चेतावनी है कि अब 2024 का चुनाव बैलट पेपर से होना चाहिए। देश में जब लोकतंत्र को खतरा होता है तो न्यायपालिका की जिम्मेदारी होती है लोकतंत्र को बचाने की आज न्यायपालिका से पूरा देश अपील कर रहा है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं है इसलिए ईवीएम बैन होनी चाहिए और बैलट पेपर से निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए, जिससे की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ही सरकार बने अगर बीजेपी सरकार को यह पता है कि जनता उसे वोट दे रही है तो जनता उसे हर बार बढ़ चढ़कर बहुमत दे रही है तो उन्हें बैलट से चुनाव कराने में क्या आपत्ति है अगर उन्हें जनता पर भरोसा है कि जनता उन्हें ही वोट दे रही है तो बैलट से भी वही रिजल्ट आएगा जो ईवीएम से आया इसलिए सरकार की नियत पर शक होता है कि भाजपा ईवीएम मशीन को पकड़ कर क्यों बैठी है।
देश के बॉर्डर पर किसान बैठे हुए हैं आखिर क्यों यह धरने पर दर्शन हो रहे हैं जो किसान 2 साल पहले 13 महीने धरने पर बैठ चुके हैं. किसानों के लिए लाए गए काले काले कानून के विरोध में आज उन्हें फिर से धरने पर बैठना पड़ रहा है और इसके लिए सरकार उन पर तरह-तरह के धरने को रोकने के लिए कीले और आंसू गैस जैसी चीजों को प्रयोग कर रही है यह किसी संस्था या किसी पार्टी विशेष की मांग नहीं है यह अब देश की जनता की मांग हो चुकी है तो सरकार को भी इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।