भाद्रपद यानि भादो के महीने में आने वाली अष्टमी तिथि के दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने मथुरा की जेल में माता देवकी की कोख से जन्म लिया था। तभी इस भाद्रपद की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप बाल गोपाल यानि लड्डू गोपाल का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। निसंतान दंपतियों के लिए भी जन्माष्टमी का दिन बेहद ही खास है।
जन्माष्टमी के दिन व्रत व उपवास किया जाता है और अगले दिन व्रत का पारण होता है। निसंतान दंपतियों के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि यदि इस दिन संतान प्राप्ति की कामना से व्रत व पूजन किया जाए तो भगवान कृष्ण सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। अगर आप भी संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो जन्माष्टमी के दिन कुछ मंत्रों का जाप अवश्य करें। जानते हैं इन मंत्रों के बारे में
देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
यह गोपाल मंत्र है और जिन परिवारों में संतान सुख न हो और कुंडली में बुध व गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हों। उस दंपति को जन्माष्टमी के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। संतान प्राप्ति के लिए बेहद ही फलदायी मंत्र माना गया है। मंत्र का जाप करने के लिए तुलसी की शुद्ध माला का उपयोग करना चाहिए।
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।
हिंदू धर्म शास्त्रों व पुराणों के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए यह मंत्र एक सरल उपाय है. इसका जाप करने से घर में कान्हा जैसी सुंदर संतान का जन्म होता है. शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में भगवान कृष्ण के बालस्वरुप लड्डू गोपाल जी की प्रतिमा भी स्थापित करनी चाहिए.
