बरेली। सेशन कोर्ट की वकालत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर कुमार सक्सेना

सक्सेना ने न केवल कई चर्चित मुकदमों में अपनी वकालत की गहरी छाप छोड़ी, बल्कि बार एसोसिएशन की राजनीति में भी लगातार सक्रिय रहे। अधिवक्ताओं के हितों से जुड़े हर मुद्दे पर मुखर रहते हुए उन्होंने आंदोलन, विरोध और मंच से हमेशा अधिवक्ताओं की आवाज़ बुलंद की।
हापुड़ प्रकरण में पुलिस की बर्बरता के खिलाफ बरेली से सबसे पहले पहुंचने वाले अधिवक्ता भी वही थे। वहीं बार के अंदर अवमानना हो या निष्कासन का नोटिस—हर परिस्थिति में सक्सेना ने डटकर सामना किया और अधिवक्ताओं का भरोसा जीता।

वित्तीय पारदर्शिता और बार के प्रशासनिक मुद्दों पर उन्होंने कई बार खुलकर सवाल उठाए और गलत परंपराओं का विरोध किया। उनके नेतृत्व और संघर्षों से अधिवक्ताओं में यह धारणा मजबूत हुई कि वे बार एसोसिएशन को मजबूत और स्थाई नेतृत्व दे सकते हैं।
स्वयं सक्सेना का कहना है कि वे मध्यवर्ती चुनाव में नहीं, बल्कि नियमित चुनाव लड़ेंगे। उनके मैदान में आने से दिसंबर का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है।
कोरोना काल मे लोगों की मदद में आगे रहे शंकर
कोरोना काल के दौरान अधिवक्ता शंकर कुमार सक्सेना ने अपनी संवेदनशीलता और मानवता से सबका दिल जीत लिया। संकट की घड़ी में उन्होंने जरूरतमंदों तक भोजन और जरूरी सामान पहुँचाकर राहत देने का कार्य किया। बीमार और परेशान अधिवक्ताओं के परिवारों को भी सहयोग देकर वे उनके लिए सहारा बने। अपने व्यस्त पेशेवर जीवन के बीच भी उन्होंने सेवा को सर्वोपरि रखा। उनकी यह संवेदनशील छवि आज भी अधिवक्ताओं और समाज में यादगार बनी हुई है।




