ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा,
बरेली। चेचक, खसरा व बच्चों को रोगों से रक्षा करने वाली शीतला देवी का पावन त्यौहार बुधवार में मनाया जाएगा। यह त्यौहार वर्ष में होली के बाद अष्टमी तिथि में मनाया जाता है। इस त्यौहार में मां शीतला को बासी भोग लगाने का विधान है। इसलिए इस पर्व को बसोड़ा पर्व भी कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार गत दिवस 14 मार्च को रात्रि 8:22 से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो गई। जो कि आज बुधवार में शाम 6:35 तक व्याप्त रहेगी।
उदया तिथि की प्रधानता अनुसार यह पर्व आज ही मनाया जाएगा। अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त प्रातः 6:20 से शाम 6:35 तक मां शीतला को भोग लगेगा। जो लोग किसी भी बीमारी से ग्रसित है ऐसे लोगों के लिए मां शीतला वरदान की तरह है। लोगों को शांत करने के लिए शीतला माता की विधिवत पूजा अर्चना करें। ऐसा करने से रोग भी शांत होंगे। शीतला माता को ऐश्वर्य की देवी भी कहा जाता है। जो जीवन में शांति प्रदान करती है और सुख समृद्धि की बरसात भी माता की कृपा से भक्तों पर होती है।
वैसे भोग सप्तमी तिथि की शाम को मनाया जाता है और भोग में चावल गुड़ और गन्ने के रस से मिलकर भोग बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भी भोग बनाया जाता है। माता को भोग में विशेष रूप से हलवा -पूरी कहीं-कहीं माता को चावल और भी गाय के घी का भोग लगाया जाता है। इस दिन घरों में खाना भी नहीं बनता बल्कि माता को चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण कर लिया जाता है। ऐसी मान्यता है ऐसा करने से माता सभी रोगों का दमन कर देती है। और स्वास्थ्य का वरदान माता की कृपा से प्राप्त होता है।
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