बरेली । अलखनाथ मंदिर परिसर में विकसित किए जा रहे पर्यटन विभाग के कॉरिडोर प्रोजेक्ट को अचानक रोक दिए जाने से विवाद गहरा गया है। मंदिर प्रबंधन ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग अपने को जमीन का मालिक बताते हुए निर्माण रुकवा रहे हैं, जबकि ये भूमि लंबे समय से मंदिर के अधिकार में रही है। मामले में मंदिर प्रबंधन ने प्रशासन से जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मंदिर समिति के अनुसार, मुख्य द्वार के भीतर समाधि स्थल, फूलों के उद्यान और फलदार बागान के पास पर्यटन विभाग की ओर से प्रसाद केंद्र, फूल दुकान और शौचालय का निर्माण कार्य चल रहा था। इससे पहले यहां नगर निगम की धर्मशाला और बाबा पवन गिरि का धूना मौजूद था, जिसे हटाने के बाद नया निर्माण शुरू किया गया था।
समिति का दावा है कि कुछ दिन पहले मुकेश यादव और जमील अहमद सहित चार–पांच लोग परिसर में पहुंचे और जमीन अपनी होने का दावा करते हुए निर्माण बंद करा दिया। जब साधु–संतों ने आपत्ति जताई तो मुकेश यादव ने स्वयं को एक संगठन का पदाधिकारी बताते हुए भूमि खरीदने की बात कही।
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि यह भूमि ऐतिहासिक रूप से अलखनाथ बाबा के कब्जे में रही है और राजस्व अभिलेखों में भी इसका उल्लेख “बाबा अलखनाथ की झाड़ियां” के रूप में मौजूद है। भूमि को लेकर पिछले दशकों में चले विवाद पर 1970 में कोर्ट ने मुकदमा खारिज कर दिया था। 1977 में मंडलायुक्त बरेली ने भी अपील को निरस्त कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में दायर वाद भी वापस ले लिया गया था।
मंदिर समिति का आरोप है कि पुराने आदेश खतौनी में दर्ज न होने का फायदा उठाकर वर्ष 2015 में फर्जी दाखिल–खारिज करा दी गई, जिसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। साथ ही समिति ने कहा कि मंदिर प्रवेश द्वार के भीतर अनेक धार्मिक संरचनाएं होने के कारण पैमाइश भी संभव नहीं है।
अलखनाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष महंत कालू गिरि ने जिला प्रशासन से समूचे प्रकरण की राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर जांच कराने, निर्माण कार्य रोकने पहुंचे व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई करने और कॉरिडोर निर्माण को बाधामुक्त करने की मांग की है। समिति ने 1970 के न्यायालयीय आदेश की प्रति भी अधिकारियों को उपलब्ध कराई है।




