परमपिता से एकाकार हो जाना ही मोक्ष , कथा व्यास राजकमल दास महाराज

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देवरनियां । भक्ति कर परमपिता से एकाकार हो जाना ही मोक्ष की प्राप्ति है । यह उद्धगार ग्राम सिंगतरा के देवस्थान पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के छटवें दिन आज कथा व्यास राजकमल दास महाराज ( त्यागीजी) जी ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि परमपिता इस सृष्टि का केन्द्र है । सभी प्राणी उनके चारो ओर परिक्रमा करते हैं । जिस दिन परमपिता की क्रपा द्रष्टि पड जाती है ।

 

उसी दिन केन्द्र और परधि की दूरी मिट जाती है । और प्राणी मोक्ष को प्राप्त हो जाता है । इसका ज्ञान सतसंग करने से ही होता है । भागवत का एक अर्थ यह भी विद्वान जनो द्वारा बताया गया है कि भ से भक्ति ग से ज्ञान व से वैराग्य त से त्याग होता है । श्रीमद भागवत कथा श्रवण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है । और ज्ञान से ही प्रभु भक्ति प्राप्त होती है । तभी प्राणी को प्रभु की क्रपा प्राप्त होती है । और वह उसमें एकाकार होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है । श्रेतागणों मे कथा आयोजक मन्दिर के पुजारी सन्त केशवदास जी महाराज परीक्षित प्रेमशंकर शर्मा आदि आस पास के भक्तजन मौजूद रहे ।

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Author: newsvoxindia

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