बरेली।
मौलाना रजवी ने कहा कि यह सर्वविदित है कि जंग और हिंसा से कभी भी किसी मसले का स्थायी समाधान नहीं होता। हर मसले का हल संवाद से ही संभव है। अमेरिका के खुलकर इज़राइल के समर्थन में आने और फिर ईरान द्वारा जवाबी कार्रवाई के चलते क्षेत्र में गंभीर तनाव उत्पन्न हो गया था। ऐसे में क़तर के अमीर और अमेरिकी राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से ईरान और इज़राइल के बीच जंगबंदी का ऐलान होना सकारात्मक कदम है।
हालांकि, उन्होंने इस जंगबंदी की प्रक्रिया में ईरान द्वारा गज़ा के पीड़ितों को भूल जाने पर गहरी नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने कहा, “गज़ा में आज भी इज़राइल की बमबारी जारी है, जहां हर दिन सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। पूरा शहर खंडहर में तब्दील हो गया है, लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। और अफसोस की बात है कि जंगबंदी की शर्तों में ईरान ने यह मांग नहीं रखी कि गज़ा में बमबारी को रोका जाए।”
मौलाना रजवी ने कहा कि ईरान से यह एक बड़ी चूक हुई है। ईरान को चाहिए था कि वह गज़ा के मुद्दे को प्राथमिकता देता और युद्धविराम की शर्तों में शामिल करता कि जब तक गज़ा पर हमले नहीं रुकते, बातचीत आगे नहीं बढ़ेगी।
अंत में उन्होंने क़तर के अमीर तमीम बिन हमद अल सानी, ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई और अन्य प्रभावशाली राष्ट्राध्यक्षों से अपील की कि वे मिलकर गज़ा पर हो रही बमबारी को रुकवाने के लिए वैश्विक मंचों पर दबाव बनाएं और इंसानियत की हिफाज़त करें।
