कासगंज। जिले की पटियाली तहसील में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। गंगा के उफान के कारण रविवार रात सुन्नगढ़ी-शाहबाजपुर मार्ग पर नगला ढाब के पास तेज प्रवाह से पुलिया बह गई।
सोमवार तड़के करीब 4 बजे यह खतरा तब सामने आया, जब दिल्ली से पटियाली के छितेरा होते हुए सुन्नगढी के गांव शहबाजपुर जा रही एक प्राइवेट बस का चालक कटे हुए हिस्से के पास पहुंचा। चालक ने समय रहते स्थिति को भांपकर बस रोक दी, जिससे बड़ा हादसा टल गया। बस में सवार 8 यात्रियों को गांव गंजडुंडवारा होते हुए सुन्नगढ़ी के रास्ते आगे भेजा गया।
गंगा के उफान से सुन्नगढी थाना क्षेत्र की हजारों बीघा फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। तटवर्ती कई घरों में पानी भर गया है। नगला ढाब,सुन्नगढ़ी, चोखे नगला, बमनपुरा,किसौल,कॉलोनी, उलीपुर, खुर्द,गणेशपुर भाटन समेत कई गांव प्रभावित हैं। सतर्कता बरतते हुए ग्रामीण घर छोड़कर सड़कों के किनारे और ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग पर पहले भी कटान से सड़क बह चुकी है। इस बार बाढ़ रोधी स्पर बनने से पानी का दबाव और बढ़ गया है, जिससे कटान तेज हुआ है। उन्होंने प्रशासन से स्थायी बांध बनाने की मांग की है।
पटियाली के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के गंगा किनारे बसे मूजखेड़ा, नगला नरपत, राजेपुरकुर्रा, नगला जयकिशन, नगला दुर्जन, नगला खना और नगला हंसी समेत कई गांवों में पानी भरने से सड़क संपर्क पहले ही टूट चुका है। कई स्थानों पर आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। मुख्य सड़कों पर पानी भरने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अब कच्चे मकान भी ढहने लगे हैं। नगला नरपत में दिनेश का पशु बांधने का कच्चा स्थान ढह गया है। नरदोली और सनौडी को छोड़कर पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है। इस कारण कुछ लोग स्वेच्छा से पलायन कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।
प्रभावित गांवों के लोग प्रशासन से राहत सामग्री, सुरक्षित आवास और कटान रोकने के उपाय की मांग कर रहे हैं।उनका कहना है कि यदि शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
