साइबर ठगों ने बरेली में रिटायर्ड महिला बैंक मैनेजर को करीब 42 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। शक होने पर भाई ने उससे जानकारी की तो मामला खुल गया। परिजनों की सूचना पर पहुंचे एसपी सिटी मानुष पारीक ने रिटायर्ड महिला बैंक मैनेजर को रेस्क्यू कराया। परिजनों की सतर्कता और पुलिस की सक्रियता से रिटायर्ड महिला बैंक अफसर 70 लाख रुपये ठगने से बच गईं।
एसपी सिटी मानुष पारीक के अनुसार साइबर ठग ने रिटायर्ड महिला बैंक मैनेजर गुलशन कुमारी को धमकाते हुए कहा कि वह इस मामले की जानकारी किसी को न दें, वरना अंजाम बुरा होगा। महिला बैंक अफसर बुधवार को जालसाज के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी थी। इसके चलते वह 42 घंटे तक घर में ही कैद रही। इस दौरान लगातार तनाव और दबाव से गुरुवार को उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। इस पर ठगों ने एंबुलेंस भेजने और उसे एनआईए के अस्पताल में भर्ती कराने का झांसा दिया। इसकी वजह से महिला और डर गई।
तबियत बिगड़ने पर भाई को हुआ शक
रिटायर्ड महिला बैंक अफसर का डरना ही उसके लिए ब्रह्मास्त्र बन गया। गुलशन की स्थिति देख भाई महेंद्र को शक हुआ। उसने पूछताछ की तो उसे कुछ अनहोनी का शक हुआ। साथ ही बहन ने भी उसे घटना के बारे में कुछ बताया। महेंद्र ने तत्काल 112 पर डायल करके पुलिस से मदद मांगी। मामला एसएसपी अनुराग आर्य तक पहुंचा तो उन्होंने फौरन एसपी सिटी मानुष पारीक को टीम के साथ मौके पर भेजा। एसपी सिटी ने मौके पर पहुंचकर महिला को ठगों के चंगुल से मुक्त कराया।
ठगों ने आतंकियों की फर्जी आईडी बनाने में मदद करने का दिखाया डर
पुलिस को पूछताछ के दौरान रिटायर्ड बैंक मैनेजर गुलशन कुमारी ने बताया कि 11 अगस्त को दोपहर में तीन बजे अनजान नंबर से उनके मोबाइल पर कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को पहलगाम पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया। उसके कंधे पर दो स्टार लगे थे, जबकि टेबल पर डीआईजी की टोपी रखी थी। फोन करने वाले ने उसे डरा-धमकाकर घर में रहने को कहा। ठगों ने महिला की व्यक्तिगत जानकारी लेने के साथ डिजिटल अरेस्ट और मनी लॉड्रिंग की बातें करके 70 लाख रुपये देने की मांग की। इन सभी बातों को किसी को न बताने की धमकी दी गई।
आईएसआईएस के सेटेलाइट फोन खरीदने में आधार का प्रयोग होने का किया बहाना
ठगों ने कहा कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर आतंकी संगठन आईएसआईएस ने सेटेलाइट फोन खरीदे हैं। उसने पहलगाम में आतंकी हमला करने वाले आतंकियों की फर्जी आईडी तैयार करने में मदद की है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने महिला से सोने, चांदी के जेवर, बैंक खातों में पड़े रुपये, एफडी निकालने को कहा। इस दौरान रिटायर्ड बैंक अफसर ने करीब 70 लाख रुपये का इंतजाम कर लिया। मानसिक दबाव और डर के माहौल में महिला घर में कैद रही।
नकली पुलिस का जब एसपी सिटी से हुआ सामना
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि जब वह मौके पर पहुंचे तो साइबर ठग लगातार महिला को फोन कर रहा था। उन्होंने फोन उठाया तो ठग ने उन्हें भी धमकाना शुरू कर दिया। दरअसल एसपी सिटी सादे कपड़ों में थे तो ठग को लगा कि परिवार का ही कोई सदस्य है, लेकिन एसपी सिटी उसे देखते ही समझ गए कि ठग है। ठग की वर्दी पर पीले रंग के दो स्टार लगे थे, लेकिन कैप डीआईजी रैंक के अफसर का था। जिस पर एसपी सिटी ने उसे पुलिसिया अंदाज में समझाया तो उसने फौरन फोन काट दिया और सभी मैसेज डिलीट कर दिए।
अनजान नंबर से फोन आए तो डरें नहीं, फौरन पुलिस को सूचना दें
एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की साइबर ठगी है। इसमें अपराधी सरकारी एजेंसियों का नाम लेकर लोगों को डरा कर रुपये ठगते हैं। यह पूरी तरह फर्जी है। इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। सूचना मिलते ही एसपी सिटी को मौके पर भेज कर सेवानिवृत्त महिला बैंक मैनेजर को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। अगर इस तरह का किसी के पास फोन आता है तो डरे नहीं फौरन पुलिस को सूचना दें।
