बुजुर्ग की मौत के बाद शरीर दिया गया दान, मेडिकल छात्रों के लिए  आएंगे काम

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  • सिख बुजुर्ग ने मानव सेवा के लिए लिया था बड़ा फैसला,
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  • देश मे नेत्रदान के साथ देह दान की बड़ी जरूरत
  • दुनिया के जाने के बाद भी कृपाल सिंह पेश कर गए मिशाल
बरेली ।  सुभाष नगर थाना क्षेत्र के  कृपाल सिंह ने अपने जीवन मे जिंदा रहते हुए मेडिकल के छात्रों को शरीर देने की इच्छा जताई थी। और इस हकीकत को पूरा करने के लिए मेडिकल कॉलेज से भी संपर्क साध लिया था ताकि  उनके दुनिया को अलविदा कहने पर उनकी इच्छा पूरी हो सके ।  तो उनकी इस इच्छा को पूरी करने के लिए   परिवार ने कृपाल सिंह के वादे को निभाया । वादे के मुताबिक कृपाल सिंह के शरीर को  उनके परिवार वालों ने  आर्युवेदिक कॉलेज के मेडिकल छात्रों को दे दी।
 धार्मिक रीति रिवाज  के बाद किया गया देह दान
कृपाल सिंह के परिवार ने अपने धर्म की रीति रिवाज के मुताबिक
गुरुद्वारा में जाकर पूजा पाठ की । इस दौरान उनके नजदीकी और परिजनों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। इस दौरान लोग उनके फैसले की तारीफ करते हुए दिखाई दिए।
कृपाल सिंह के निधन की खबर से शौकाकुल लोग
बरेली में शरीर देने का पहला मामला
जानकार बताते है कि जिले में किसी परिवार या व्यक्ति द्वारा पूरा शरीर देने का मामला है। हालांकि पहले नेत्रदान के कई मामले तो चर्चा में आये थे।
भारत दुनिया में आंख दान के मामले में तीसरे पायदान पर
 भारत नेत्रहीनों के मामले में तीसरे नंबर पर है। यहां कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के 1.20 करोड़ मामले हैं साथ ही भारत मे प्रत्येक वर्ष  20 हजार के हिसाब से नेत्रहीनता के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं भारत में नेत्रदान के लिए मामले में अधिकतर राज्यों की स्थिति पहले से कुछ बेहतर है । एक जानकारी के मुताबिक बरेली में  सआरएमएस के आई बैंक में 40 ही नेत्रदान हुए हैं, जबकि यहां करीब 600 लोगों ने आंखों की रोशनी के लिए नाम लिखवा रखे हैं।
दान करने के बाद भूल जाते है परिजन
आमतौर पर कहा जाता है कि लोग बड़ी संख्या में अपने नेत्रदान के फार्म को भरते है, पर परिजन मौत के बाद सम्बंधित संस्थाओं से संपर्क साधते नहीं है । इस वजह दान की प्रक्रिया अधूरी ही रह जाती है।
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Author: newsvoxindia

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