रामपुर। उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर में बुधवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूर्व राज्यमंत्री और एमएलसी अशोक कटारिया ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आपातकाल देश का सबसे काला अध्याय था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
रामपुर के सिविल लाइन स्थित जिला सहकारी बैंक में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान एमएलसी अशोक कटारिया ने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ का बहाना बनाकर देश पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता को बचाने की हताशा में लिया गया था।
कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया। जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। 50 वर्ष बाद अभी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत अभी वैसी ही तानाशाही वाली है।
मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली। उनके विपक्षी उम्मीदवार राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव को भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर चुनौती दी। देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही थी, जिससे जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा था। देश पहले से ही आर्थिक बदहाली, महंगाई और खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था।
बिहार और गुजरात में छात्रों के नेतृत्व में नव निर्माण आंदोलन खड़ा हो चुका था। 8 मई 1974 को जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में ऐतिहासिक रेल हड़ताल ने पूरे देश को जकड़ लिया। इस आंदोलन को रोकने के लिए 1974 में गुजरात में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया। यही राष्ट्रपति शासन 1975 में लगने वाले आपातकाल की एक शुरुआत था।
इस दौरान पूर्व राज्य मंत्री शिव बहादुर सक्सेना, जिला प्रभारी चौधरी राजा वर्मा, पिछड़ा राज आयोग के उपाध्यक्ष सूर्य प्रकाश पाल, जिला अध्यक्ष हरीश गंगवार, जिला पंचायत अध्यक्ष ख्यालीराम लोधी, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष मोहनलाल सैनी, जिला मीडिया प्रभारी अर्जुन रस्तोगी, नगर पालिका अध्यक्ष चित्रक मित्तल, ब्लॉक प्रमुख जगपाल यादव, कुलवंत औलख, यूसुफ अली, मोहित सैनी, आदि जन प्रतिनिधि और पदाधिकारी मौजूद रहे।
