Ucc सीधे तौर पर शरीयत में दखल, लागू हुआ तो समाज का ताना-बाना बिखर जायेगा : आल इंडिया जमात,

SHARE:

बरेली: उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश कर रही है इसी बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल की चुनावी सभा में समान नागरिक संहिता की वकालत करके देश भर में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस संदर्भ में आल इंडिया मुस्लिम जमात ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करके मुसलमानों का पक्ष रखा, जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने दीगर उलमा के साथ प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता एक तरह से सीधे तौर पर शरीयत में मुदाखिलत है ये मुसलमानो को मंजूर नहीं।

Advertisement

 

 

मौलाना ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी पर कमेटी बना कर लागू करने का ऐलान कर दिया है, यूसीसी रिटायर जज चेयरमैन के बयानों से जो अभी तक बातें निकल कर आई है उसमें तालाक देने का अधिकार मर्दों के साथ महिलाओं को भी दिया जायेगा, हलाला और इद्दत पर प्रतिबंध लगाया जायेगा, मर्द एक ही शादी कर सकता है और उसको सिर्फ दो बच्चा पैदा करने का अधिकार होगा, शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा आदि। अगर इन कानूनों पर किसी व्यक्ति ने अमल नहीं किया तो सरकारी जनकल्याण और आदि लाभकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जायेगा। यूसीसी में दी गयी उक्त बातें सीधे तौर पर कुरान व हदीस के खिलाफ है, इसलिए मुसलमान इस कानून को मानने के लिए तैयार नहीं है।

 

 

मौलाना ने आगे कहा कि ये समस्या मुसलमानो के अलावा भारत में रहने वाले दूसरे सम्प्रदाय के सामने भी खड़ी होगी ,इसलिए यूसीसी लागू किये जाने की जरूरत नहीं है । संविधान, आई पी सी, फौजदारी – जमींदारी एक्ट और शादी विवाह से सम्बन्ध रखने वाले अलग-अलग सम्प्रदाय के कानून पहले से ही बने हुए हैं और देश की आजादी के बाद 75 सालों से इस पर अमल किया जा रहा है।

 

 

मौलाना ने यह भी कहा कि ला कमिशन आफँ इंडिया ने एक सर्कुलर जारी करके आम नागरिकों से सुझाव मांगे हैं, ला कमिशन ने अब तक न ही कोई खा़का (प्रारुप)पेश किया और न ही मुसवदा (मज़मून) अब ऐसी कंडिशन में नागरिक या संगठन या धार्मिक व्यक्तियां किस चीज पर हाँ करे और किस चीज पर ना करें ये बहुत बड़ी मिस्टेक है, इसको सिर्फ ये कहा जा सकता है कि ला कमिशन धूल में लठ चला रहा है। लां कमिशन ने जवाब भेजने के लिए 30 दिन का समय दिया है जो बिल्कुल न काफ़ी है, कम से कम ये समय 6 महीने का होना चाहिए।

मौलाना ने कहा कि देश में 21 वी ला कमिशन की रिपोट में सामान्य नागरिक संहिता को गैर जरूरी क़रार दिये जाने के बावजूद 22 वी ला कमिशन की रिपोट के जरिए देश में यूसीसी के लिए विचार विमर्श किया जा रहा है जो कि सभी के लिए हैरान करने वाली बात है। चूंकि एक साल पहले ला कमिशन यूसीसी को गैर जरूरी बताता है फिर एक साल बाद उसकी पैरवी करने लगता है, ये बात देश के नागरिकों के लिए हैरान करने और अचंभे में डालने वाली बात है।

 

जमात के राष्ट्रीय महासचिव हाफिज़ नूर अहमद अज़हरी ने कहा कि यूसीसी का पूरे देश भर में मुसलमान विरोध करेगा, उलमा लखनऊ में बहुत जल्द बैठक करके देश व्यापी आंदोलन की रणनी बनाने जा रहे हैं, हम लोकतांत्रिक ढांचे में यकीन रखते हुए कानून के दायरे में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से सय्यद तय्यब चिश्ती, हाजी नाजिम बेग, हाफिज नूर अहमद अज़हरी, सय्यद शेएब, हाफिज अब्दुल वाहिद, हाफिज अरबाज, रोमान अंसारी, जोएब रजा आदि लोग मौजूद थे।

newsvoxindia
Author: newsvoxindia

Leave a Comment

error: Content is protected !!