धार्मिक नसीहत :ऑनलाइन फैंटेसी मोबाइल ऐप्स से दूर रहें मुसलमान: मौलाना मो0 कैफ रजा खां कादरी,

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ऑनलाइन  फैंटेसी मोबाइल ऐप्स से दूर रहें मुसलमान: मौलाना मो0 कैफ रजा खां कादरी,

मजहबे इस्लाम में जुआ और सट्टा खेलना हर सूरत नाजाइज व हराम है, अपने ईमान की करें हिफाजत: मौलाना मो0 कैफ रजा खां 
कादरी,

3- इसमें पैसा लगा चुके मुसलमान अल्लाह से सच्चे दिल से करें तौबा और आइंदा पैसा न लगाने की करें नियत: मौलाना मो0 कैफ रजा खां।
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बरेली। इंडियन  प्रीमियर लीग (आईपीएल) में  आनलाइन फैंटेसी ऐप्स में पैसा लगाने के ताल्लुक से सवाल किया गया  था जिसमें पूछा गया था कि ये जायज है या हराम? क्योंकि बड़ी तादाद में मुस्लिम नौजवान इसमें अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं। इसके साथ ही सट्टेबाजी का खेल चरम पर है।

 

इस संबन्ध में दरगाह उस्तादे जमन ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष नबीरा ए आलाहजरत मौलाना मो0 कैफ रजा खां ने बताया कि इन आनलाइन गेम्स की सूरत बिल्कुल जुए जैसी है लिहाज़ा यह गेम भी जुए की तरह ही हराम हैं। कुरआन करीम में जुआ और शराब को बड़ा गुनाह बताया गया है और फतावा रजविया में आला हजरत ने सूद, चोरी और जूए के रूपये को कतई हराम बताया है। गुजिश्ता सालों से यह देखा जा रहा है खास कर नौजवानों में जैसे ही आईपीएल आता है लोग दीवाने होकर मोबाइल के जरिए ऑनलाइन फैंटेसी ऐप्स पर टीम बना कर पैसा लगाना शुरू कर देते हैं। बहुत से लोग ला इल्मी की वजह से महज खेल समझ कर इसमें रूपये लगा कर गुनाह में शामिल हो जाते हैं। नौजवान रमज़ान के इस मुबारक महीने मे अल्लाह की इबादत करने की बजाए इस गुनाह में लगे हुए हैं।

 

 

मजहबे इस्लाम में जिस तरह जुआ और सट्टेबाजी से रकम हासिल करना हराम और जहन्नुम में ले जाने वाला काम है बिल्कुल उसी तरह ऑनलाइन फैंटेसी ऐप्स के जरिए पैसा लगाना भी नाजाइज व हराम है। क्योंकि यह भी एक किस्म का जुआ है और जूए या सट्टे में एक भी पैसा लगाने की इजाजत हमारा मजहब हमें नहीं देता।मौलाना ने कहा कि मैं गुजारिश करता हूं तमाम मुसलमानों और खास कर अपने कौम के नौजवानों से के वह उक्त ऑनलाइन फैंसटेसी ऐप्स से दूर रहें।

 

इनमें पैसा न लगाएं वरना आप भी अल्लाह की नाराजगी के हकदार और गुनाह में शामिल होंगे और जो लोग आज से पहले यह गेम खेल चुके हैं वह रमज़ान के इस मुबारक महीने में नेक और सच्चे दिल से अल्लाह से तौबा करें और आइंदा इसमें पैसा न लगाने की पुख्ता नियत करें और अल्लाह की इबादत करें और गरीबों व मिसकीनों पर अपना माल खर्च करके अल्लाह को राज़ी कर लें।

 

मीडिया सेल
दरगाह उस्तादे ज़मन ट्रस्ट

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Author: newsvoxindia

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