बरेली।हम भी कुछ अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं, अपनी बहन-बेटियों के ईमान बचाएं”
सेमिनार का विषय था: “मौजूदा दौर और बेटियों के बहकते कदम”, जिसका उद्देश्य आज के सामाजिक माहौल में मुस्लिम बेटियों के ईमान और चरित्र की हिफ़ाज़त को लेकर समाज को जागरूक करना था।
सेमिनार की शुरुआत मौलाना बिलाल रज़ा की तिलावत-ए-क़ुरआन से हुई।
इसके बाद टीटीएस के वरिष्ठ सदस्य परवेज़ खान नूरी ने कहा कि आज एक सोची-समझी साजिश के तहत हमारी बेटियों को बहकाया जा रहा है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस खतरे को देखते हुए टीटीएस ने मोहल्ला-मोहल्ला जाकर जागरूकता अभियान शुरू करने का संकल्प लिया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मुहिम पूरी तरह संविधान के दायरे में रहकर चलाई जाएगी, और किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा।
दरगाह के नासिर कुरैशी ने कहा कि हमें अपनी बेटियों को सिर्फ तालीम नहीं, बल्कि तरबियत भी देनी होगी। समय-समय पर उनकी काउंसलिंग कर, उन्हें अच्छे-बुरे की समझ देना जरूरी है, ताकि वो किसी गुमराह रास्ते पर न जाएं।
डॉ. अब्दुल माजिद खान ने समाज में फैली दहेज प्रथा को भी बेटियों के गुमराह होने की बड़ी वजह बताया। उन्होंने अपील की कि नौजवान दहेज रहित शादियों को अपनाएं और बेटियों को सम्मान दें।
शाहिद नूरी और अजमल नूरी ने अपने संबोधन में कहा कि मुस्लिम समाज को अब अपने खुद के स्कूल और कॉलेज खोलने की ज़रूरत है ताकि नई पीढ़ी को बेहतर माहौल और शिक्षा मिल सके।
मंज़ूर रज़ा खान और नफ़ीस खान ने कहा कि निकाह को आसान बनाकर ही बेटियों को सुरक्षित किया जा सकता है।
इशरत नूरी ने संचालन करते हुए कहा कि इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य है कि मुस्लिम समाज अपनी घर की औरतों को गुमराही से बचाए और उन्हें धार्मिक व नैतिक मूल्यों से जोड़े रखे।कार्यक्रम का समापन मौलाना गुलफाम रज़ा की दुआ से हुआ।
सेमिनार में ताहिर अल्वी, हाजी शरीक नूरी, सय्यद शावेज़, अदनान बेग, साजिद नूरी, नईम नूरी, इरशाद रज़ा, मुस्तकीम रज़ा, आकिब रज़ा, सय्यद माजिद अली, साकिब रज़ा, आले नबी, क़ाशिफ़ सुब्हानी, सय्यद एजाज़, जावेद खान, मुजाहिद रज़ा, नदीम खान, फिरोज खान, अब्दुल अहद, आरिफ़ रज़ा, आदिल रज़ा, अरवाज़ रज़ा आदि शामिल रहे।
