मुजस्सिम खान
यूपी के रामपुर में इन दिनों बिजली विभाग विधुत चोरी को रोकने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी कार्यवाही को अंजाम देने में जुटा है लेकिन इतनी सक्रियता के बाद भी उसकी अदालत के आदेशों प्रति बड़ी लापरवाही उस समय उजागर हुई जब स्थानीय सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने एक्शन लेते हुए शहर स्थित विधुत खंड कार्यालय प्रथम को कुर्की करते हुए सील करवा दिया है। रामपुर में इन दिनों बिजली विभाग की ओर से गलियों मोहल्लों और ग्रामीण इलाकों में विधुत चोरी रोकने के लिए ताबड़तोड़ छापेमार कार्यवाही की जा रही है हालांकि यह बात अलग है कि इस कार्यवाही में कुछ लोग भ्रष्टाचार का भी शिकार हो रहे हैं।
रामपुर शहर से सटे एक गांव में वर्ष 1998 को बशीर अहमद नाम के एक शख्स शादी समारोह में शिरकत करने जा रहे थे तभी रास्ते में 11,000 वोल्ट की विधुत लाइन जमीन पर टूटी पड़ी थी। इसी की चपेट में आकर बशीर अहमद बुरी तरह से झुलस गए और उन्होंने बरेली में अपना इलाज कराया इस घटना के बाद उनका दाहिना पैर काट दिया गया और बायां पैर भी कुछ डैमेज हो गया। किसी तरह इलाज कराने के बाद बशीर अहमद ने बिजली विभाग के दफ्तर के चक्कर लगाए लेकिन उनको इसी तरह से कोई मदद नहीं मिली जिसके बाद वर्ष 2004 में उन्होंने रामपुर की अदालत का दरवाजा खटखटाया और सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में स्वयं से जुड़े मामले को लेकर एक वाद दायर कराया। कानूनी प्रक्रिया 12 नवंबर 2014 में अंजाम तक पहुंची जहां पर अदालत ने बशीर अहमद के हक में बिजली विभाग को पीड़ित को 3 लाखों रुपए 6% वार्षिक ब्याज की दर से देने का फैसला सुनाया लेकिन विभाग ने लापरवाही की सारी हदें पार करते हुए अदालत के आदेश को हवा में उड़ा दिया।
पीड़ित ने फिर एक बार वर्ष 2015 में गुहार लगाई जिसके बाद अदालत ने एक और आदेश पारित किया जिस पर बिजली विभाग की ओर से डेढ़ लाख रुपए कोर्ट में जमा करा दी गए। लेकिन इसके अलावा कोई रकम जमा नहीं की फिर एक बार बशीर अहमद ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रार्थना पत्र दिया जिसमें कहा गया की विद्युत खंड प्रथम का कार्यालय कुर्क करके उसकी रकम दिलाई जाए जिस पर सिविल जज सीनियर की अदालत ने संज्ञान लेते हुए 1 अगस्त 2022 को उक्त कार्यालय को सील करने का फरमान सुनाया है इसी अदालती फरमान को अमलीजामा पहनाने के लिए कोर्ट अमीन मय दल बल के विधुत विभाग कार्यालय पहुंचे जहां पर अदालत की कार्यवाही के बाद हड़कंप मच गया लेकिन इन सबके बीच कार्यालय को अदालती फरमान के मुताबिक सील कर दिया गया है।
कोर्ट अमीन अमित कुमार के मुताबिक मामला वर्ष 1998 से जुड़ा है जिसमें बशीर अहमद नाम के शख्स रामपुर में किसी गांव में शादी समारोह में शिरकत करने आ रहे थे तभी रास्ते में 11000 का विधुत तार जमीन पर पड़ा था जिसके बाद वह इस विधुत लाइन की चपेट में आ गए और इनके दोनों पैर बुरी तरह से झुलस गए। इनका इलाज बरेली में चला तो फिर इनका एक दाहिना पैर काट दिया गया और बाएं पैर में कुछ डैमेज है फिर 6-7 माह बाद यह कुछ सही हुए तो इन्होंने बिजली विभाग में संपर्क किया। लेकिन बिजली विभाग ने उनकी एक नहीं सुनी इसके बाद यह अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय की शरण में आये फिर इन्होंने 2004 में वाद दायर किया जिसके बाद 12 नवंबर 2014 को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने वादी बशीर अहमद के हक मैं फैसला सुनाया कि बिजली विभाग उनको 3 लाख रुपये 6 परसेंट वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करें। लेकिन बिजली विभाग ने वादी को कोई भुगतान नहीं किया फिर वसीर अहमद ने एक और मुकदमा किया 2015 में जिसमें बिजली विभाग के खिलाफ अदालत में एक और आदेश दिया कि पैसा जमा करें। तो इन्होंने बिजली विभाग ने डेढ़ लाख रुपए जमा भी कर दिए इसके अलावा इन्होंने कोई पैसा जमा नहीं किया फिर बशीर अहमद ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में एक और एप्लीकेशन लगाई इनका दफ्तर कुर्क करके हमारी रकम दिलाई जाए। फिर सिविल जज सीनियर डिवीजन ने इनकी एप्लीकेशन पर संज्ञान लेते हुए 1 अगस्त 2022 को एक आदेश सुनाया की बिजली विभाग के प्रथम खंड कार्यालय को कुर्क करके उसका सामान उसी कार्यालय में रखकर सील कर दिया जाए। इसी आदेश के अनुपालन में आज दिनांक 14 नवम्बर 2022 को कार्यालय को सील कर दिया गया है।
