नई दिल्ली। भारत ने सेपकटाकरा में हांगझोउ में थाईलैंड को हराकर कांस्य पदक जीतकर अपने नाम एक और उपलब्धि हासिल कर ली। इस उपलब्धि के लिए बरेली की बेटी खुशबू का भी विशेष योगदान रहा। एक समय खुशबू के लिए ऐसा ही रहा जब घर की आर्थिक स्थिति देखते हुए सेपक को अलविदा कह दिया था। वह चौकीदार पिता गोपाल और माँ मीना ने अपने अपने काम शुरू करके दो साल बाद फिर खुशबू का खेल शुरू कराया । जब हांगझोउ से पदक मिलने की खबर खुशबू के परिवार के पास पहुंची तो परिजनों को ऐसा लगा जैसे परिवार को अपनी मेहनत और तपस्या का फल मिल गया हो । खुशबू ने अपने पदक को माता पिता को समर्पित किया हैं। हालांकि सेपक टाकरा में सेमीफाइनल में हुए मुकाबले में थाईलैंड और भारत को नियम के मुताबिक कांस्य पदक मिला।
हॉकी की जगह सेपक टाकर को बनाया खुशबू ने अपना खेल
खुशबू ने मीडिया को बताया कि वह शुरू में स्टेडियम में हॉकी खेलने गई थी । लेकिन वहां उसने सेपक टाकरा को देखा तो उसे ही खेलने का मन बना लिया। खुशबू मीडिया को यह भी बताती है कि वर्ष 2010 में उन्होंने घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते सेपक छोड़ा था। इसके बाद उन्हें पहली नौकरी मिली तो उसके बाद पिता की नौकरी छुड़वा दी।
