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बदायूं में रावण के गुणों के चलते होती है पूजा , विजयदशमी पर रावण के दर्शन के लिए पहुंचते है बड़ी संख्या में  श्रद्धालु ,

पंकज गुप्ता 
बदायूं में भगवान राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में राम को नायक माना जाता है. जिले में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की विधिवत पूजा होती है. दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती ।बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में रावण की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है.

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रावण की यह प्रतिमा भगवान शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. कहा जाता है कि रावण परम ज्ञानी था. वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और इसीलिए वह सीता जी का हरण करके ले गया. इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण की पूजा करते हैं। रावण के मंदिर पहुंचने वाले एक श्रद्धालु ने बताया कि यहां पूजा करने से आज तक सभी मांगी गई मनोकामना पूरी होती है।  इसलिए आज विजयादशमी के दिन  रावण देवता के मंदिर जरूर आता है .

 

 

हालांकि इस मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है. इसलिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं. कहते हैं कि जिन लोगों की शादी होने में रुकावट आ रही होती है, वह यहां आकर विजय दशमी के दिन मन्नत मांगें तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है।देश के अलग-अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो, लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है. लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रवृत्ति के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं।

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