हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष: पवन त्रिपाठी ने छोड़ी लाखों की नौकरी, चुनी सच्चाई की राह

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बरेली:पूरे देश में आज हिंदी पत्रकारिता दिवस उत्साह और गर्व के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर पत्रकारों को बधाइयाँ देने वालों में न सिर्फ उनके साथी बल्कि आम लोग भी शामिल हैं। बरेली में भी पत्रकारों के बीच कई कहानियाँ हैं जो इस पेशे की चुनौतियों और समर्पण को उजागर करती हैं।

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ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है पवन त्रिपाठी की एक ऐसे पत्रकार की, जिन्होंने पत्रकारिता के लिए न सिर्फ हाई-प्रोफाइल नौकरी छोड़ी, बल्कि आज तक अविवाहित रहकर अपना जीवन पूरी तरह से पत्रकारिता को समर्पित कर दिया।

 

 

पवन त्रिपाठी कभी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कॉनफिडेंस पेट्रोलियम इंडिया लिमिटेड प्लांट्स—एशिया के सबसे बड़े बॉटलिंग और मैन्युफैक्चरिंग ग्रुप—में कार्यरत थे। बरेली कॉलेज से बीएससी और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने मुंबई में अपनी नौकरी शुरू की। इस दौरान उनकी पोस्टिंग देश के प्रमुख शहरों जैसे बेंगलुरु, मदुरई, भोपाल, दिल्ली और आगरा में हुई।

 

हालाँकि, लाखों के पैकेज और सामाजिक प्रतिष्ठा के बावजूद, पवन को अपने मन की संतुष्टि नहीं मिली। लगातार ट्रांसफर और मशीनों की दुनिया में रहते हुए उनकी आत्मा बेचैन रहने लगी। तभी उनके भीतर पत्रकारिता के लिए पुराना प्रेम फिर से जाग उठा। उन्होंने आठ साल की नौकरी और उज्ज्वल करियर को अलविदा कहकर पत्रकारिता की कठिन लेकिन सच्ची राह चुनी।

पवन त्रिपाठी ने बरेली लौटने के बाद पूरी तरह से पत्रकारिता को समर्पित कर दिया। पिछले दस वर्षों से वे एक राष्ट्रीय अखबार के बरेली ब्यूरो में कार्यरत हैं। उनका कहना है, “पिता के न होने के बाद माँ की चिंता ने भी मन को झकझोर दिया। मन को अब वहीं सुकून मिलता है, जहाँ सच्चाई और समाज की आवाज़ को कलम से उठाया जा सके।”

हालाँकि, इतने वर्षों की मेहनत के बाद भी वे खुद को अक्सर पत्रकारिता की मुख्यधारा से थोड़ा किनारे पाते हैं। उनका मानना है कि आज पत्रकारिता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, लेकिन वे अभी भी साफ-सुथरी और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए संघर्षरत हैं।

पवन त्रिपाठी जैसे पत्रकार आज के युवाओं के लिए एक मिसाल हैं—जो यह दिखाते हैं कि पत्रकारिता महज़ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी का एक संकल्प है।

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Author: newsvoxindia

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