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मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हक की एक बेबाक आवाज़ थे- मुफ्ती अफजाल रज़वी

 

बरेली : आला हजरत के छोटे साहिबजादे (पुत्र) सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हज़रत अल्लामा शाह मुफ्ती मोहम्मद मुस्तफा रजा खां कादरी का 42वा उर्स-ए-नूरी दरगाह ताजुश्शरीया पर दरगाह ताजुश्शरीया के सज्जादानशीन काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती और जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सदारत व जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की निगरानी में मनाया गया। कार्यक्रम को विश्व भर के अकीदतमंदों ने घर बैठे ऑनलाइन भी सुना।
जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया उर्स-ए-नूरी का आगाज़ फजर की नमाज बाद दरगाह पर कुरान ख्वानी से हुआ। दिन भर दरगाह आला हजरत और दरगाह ताजुश्शरिया पर मुरीदो व चाहने वालों की हाजिरी व गुलपोशी का सिलसिला चलता रहा। फिर शाम को मगरिब की नमाज बाद मिलाद की महफिल सजाई गई और हुजूर ताजुश्शरिया के कुल शरीफ़ की रस्म 07:14 मिंट पर अदा की गई। उर्स-ए-नूरी के मुख्य कार्यक्रम का आगाज़ रात 9 बजे कारी खुशनूर रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। नातख्वा सैय्यद कैफ़ी अली, मुस्तफा मुर्ताजा अज़हरी और नईम रज़ा तहसीनी ने नात-ओ-मनकबत का नजराना पेश किया। इस मौके पर मुफ्ती अफजाल रज़वी ने कहा मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हक की एक बेबाक आवाज़ थे। उन्होंने अपनी 92 साल ज़िंदगी में हमेशा सच्ची बात कही और बिना किसी डर व खौफ़ के फ़तवा दिया, आपके कई फतवे देश दुनिया में चर्चित रहे जिनमें नसबंदी और फोटो के खिलाफ दिए फतवे ख़ास तौर पर याद किए जाते हैं।

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मुफ्ती शहजाद आलम ने कहा जब आप खुद हज पर गए तो उनके पासपोर्ट पर फोटो तक नही लगा था इसके लिए भारतीय हुकूमत ने विशेष छूट दी थी। इसके अलावा उन्होंने लाउडस्पीकर पर नमाज के खिलाफ़ भी फतवा दिया था आपके हज़ारो फतवों का संकलन “फतवा मुस्तफ़विया” है। मुफ्ती-ए-आजम हिंद ने दीनी इल्म पर काफी काम किया है, अपनी जिंदगी में लगभग 100 से ज्यादा किताबें लिखी। मुफ्ती जाहिद रज़ा ने कहा अल्लाह ताला के कलिम वाली थे मुफ्ती आज़म हिंद। आलम-ए-इस्लाम के एक अजीम रहनुमा और मोअतबार मुफ्ती थे। पूरी दुनिया में आपके फतवे की अहमियत थी आपका तकवा भी बेमिसाल था शरीयत के खिलाफ कोई भी बात गवारा नहीं थी पूरी दुनिया में आपके मुरीद और चाहने वाले मौजूद हैं।

अल्लामा अब्दुल मुस्तफा (अयोध्या) मौलाना अनीस आलम सिवानी (शहर काज़ी लखनऊ), मुफ्ती आशिक हुसैन (दमाद-ए-काज़ी-ए-हिंदुस्तान)  दीगर उलमा-ए-इकराम ने मुफ्ती-ए-आज़म हिंद को खिराजे अकीदत पेश किया। कार्यक्रम  देर रात तक चलता रहा।  01 बजकर चालीस मिनट पर सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद का 42वा कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। फातिहा कारी शरफुद्दीन और हाफिज अब्दुल सत्तार रज़ा ने शिज़रा और दुआ मुफ्ती असजद मियां ने की। ऐसी के साथ एक रोज़ा उर्स-ए-नूरी का समापन हुआ। कार्यक्रम की निजामत मौलाना शम्स रज़ा ने की। आईटी सेल प्रभारी अतीक अहमद हशमती ने कार्यक्रम को देश विदेश में ऑनलाइन प्रसारण किया।

इस मौके पर हुस्साम मिया, हुम्माम मिया, मंसूब मिया, शहजाद-ए-हबीब-ए-मिल्लत नजीब मियां, बदर मियां, मौलाना अब्दुल कादिर, मुफ्ती फारूकी, कारी काजिम रज़ा, मौलाना शकील, मौलाना शम्स रज़ा खां, मौलाना उस्मान रज़ा, मौलाना अज़ीमुद्दीन अज़हरी आदि उलमा मौजूद रहें।

उर्स की व्यवस्था में  हाफिज इकराम रज़ा खां, डॉक्टर मेंहदी हसन, शमीम अहमद, मोईन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खां, समरान खान, मोईन अख्तर, बख्तियार खां, मौलाना आबिद नूरी, सैय्यद सैफ अली कादरी, नावेद आलम, रेहान अज़हरी, गुलाम हुसैन आदि का सायोग रहा।

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